Israel-Hamas War: इजराइल पर हमास के अचानक हमले से सोमवार 9 अक्टूबर को शेयर बाजार सकते में दिखे। सेंसेक्स, निफ्टी से लेकर मिडकैप और स्मॉलकैप तक, लगभग हर इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए और शाम तक निवेशकों के करीब 4 लाख करोड़ रुपये डूब गए। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का कहना है कि खाड़ी देशों में गहराता जियोपॉलिटकल संकट बाजार के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। सोमवार को उन शेयरों पर खासतौर से दबाव देखने को मिला, जिनका इजराइज से सीधा कनेक्शन है। निवेशकों को डर है कि अगर इजराइल और हमास के बीच लड़ाई खींची, तो इसका असर इन कंपनियों के कारोबार पर पड़ सकता है। इसके अलावा क्रूड ऑयल भी बाजार के चिंता बन सकता है। हालांकि नोमुरा का कहना है कि इस बीच कुछ ऐसे सेक्टर्स, जहां इस युद्ध के माहौल में कमाई का मौका बन सकता है।
इजराइल से जुड़ाव रखने वाले शेयर
पहला शेयर है अदाणी पोर्ट्स, जिसने इस साल की शुरुआत की इजराइल का हाइफा बंदरगाह खरीदा है। इजराइल पर हमले की खबर से आज अदाणी पोर्ट्स का शेयर 5% गिरकर बंद हुआ। हालांकि अदाणी पोर्ट्स ने एक बयान देकर यह साफ किया है कि उसके कुल कार्गो वॉल्यूम में हाइफा बंदरगाह का योगदान बस 3% है और उसके कारोबार पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। दूसरी कंपनी है सन फार्मास्युटिकल्स। इसके पास इजराइल की एक बड़ी दवा कंपनी टैरो फार्मस्युटिकल्स की बहुसंख्यक हिस्सेदारी है। इसलिए सन फार्मा शेयर भी आज लाल निशान में बंद हुए।
रेलवे स्टॉक्स ने भी लगाया गोता
इजराइल-हमास की लड़ाई से रेलवे शेयर भी आज भारी नुकसान में रहे। इरकॉन, जुपिटर वैगन्स, रेल विकास निगम लिमिटेड, शिपिंग कॉरपोरेशन और IRFC जैसे शेयर 5-6% टूट गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हाल ही में G-20 के दौरान भारत से मिडिल ईस्ट होते हुए यूरोप तक एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने का ऐलान किया था। इसमें भारत से मिडिल ईस्ट तक ट्रेन से माल ले जाने का मार्ग भी बनना था। लेकिन खाड़ी देशों में तनाव के बाद अब इस कॉरिडोर के भविष्य को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं, जिसके चलते रेलवे के शेयरों ने आज गोता लगाया।
क्रूड ऑयल बढ़ा सकता है टेंशन
अगर इजराइल और हमास के बीच लड़ाई लंबी खींची, तो भारतीय बाजार को जो चीज सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है, वो है क्रूड ऑयल की कीमत। ऐसे में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों पर भी काफी दबाव रहेगा। सोमवार को इजराइल-हमास की लड़ाई के बीच क्रूड ऑयल का दाम 4% बढ़कर 88 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। नोमुरा ने कहा कि अगर तेल की कीमतें 100 डॉलर तक जाती है, तो यह भारत पर काफी नकारात्मक असर डालेगी।
दरअसल भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल विदेशों से आयात करता है। वित्त वर्ष 2022 में कुल खपत का करीब साढ़े 85 फीसदी तेल विदेशों से आया था। वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर रिकॉर्ड 87.3 फीसदी पर पहुंच गया। तेल की कीमतें भारत में महंगाई दर तय करने में भी अहम भूमिका निभाती है। इसलिए निवेशकों को सबसे अधिक इस पहलू पर नजर रखनी चाहिए।
नोमुरा को इन सेक्टर्स में कमाई की उम्मीद
हालांकि नोमुरा अभी भी भारत को लेकर काफी पॉजिटिव है। निकट अवधि की चुनौतियों के बावजूद उसने भारतीय शेयरों की रेटिंग को अपग्रेड कर 'ओवरवेट' किया गै और सुझाव दिया है कि तेल की ऊंची कीमतों के चलते शेयरों में जो गिरावट आती है, उससे खरीदारी का मौका बन सकता है। सेक्टरवाइज बात करें तो नोमुरा का सुझाव है कि जब तक जियोपॉलिटिल टेंशन बना रहता है तो ऑयल और एनर्जी के साथ-साथ टेलीकॉम से जुड़े सेक्टर, बाकी सेक्टर्स की तुलना में अच्छा परफॉरमेंस कर सकते हैं।
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