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जेन स्ट्रीट के मार्केट से बाहर जाने से ट्रेडर्स क्यों निराश हैं?

Jane Street ऑप्शंस सेगमेंट की बड़ी खिलाड़ी थी। यह जो प्रॉपरायटरी ट्रेड्स करती थी, उसका डेरिवेटिव सेगमेंट के कुल टर्नओवर में बड़ी हिस्सेदारी होती थी। जेन स्ट्रीट का मकसद ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना होता था। हर ट्रेडर का मकसद प्रॉफिट कमाना होता है। ट्रेडर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 15, 2025 पर 6:17 PM
जेन स्ट्रीट के मार्केट से बाहर जाने से ट्रेडर्स क्यों निराश हैं?
जेन स्ट्रीट मामले का असर स्टॉक मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है। डेरिवेटिव (एफएंडओ) सेगमेंट में कारोबार का टर्नओवर काफी घट गई है।

सेबी ने 3 जुलाई को जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका मतलब है कि जेन स्ट्रीट ग्रुप की कंपनियों पर इंडियन मार्केट में ट्रेडिंग करने पर रोक लग गई। सेबी ने अंतरिम ऑर्डर में जेन स्ट्रीट को 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा एस्क्रो अकाउंट में डालने को कहा था। जेन स्ट्रीन ने यह पैसा एस्क्रो अकाउंट में डाल दिया है। इस पूरे मामले का असर स्टॉक मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है। डेरिवेटिव (एफएंडओ) सेगमेंट में कारोबार का टर्नओवर काफी घट गई है।

Jane Street ऑप्शंस सेगमेंट की बड़ी खिलाड़ी थी। यह जो प्रॉपरायटरी ट्रेड्स करती थी, उसका डेरिवेटिव सेगमेंट के कुल टर्नओवर में बड़ी हिस्सेदारी होती थी। इसी वजह से ट्रेडर्स निराश हैं। लेकिन, मामला इतना भर नहीं है। हर ट्रेडर का मकसद प्रॉफिट कमाना होता है। ट्रेडर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है। प्रोफेशनल्स ट्रेडर्स जानते हैं कि यह सिर्फ एक चाहत है, जो एक्शनएबल चेकलिस्ट के बगैर होता है।

प्रॉफिट कमाने का ट्रिक इसमें है कि आप कितना सही स्टॉक का चुनाव करते हैं। दूसरा आपका समय और प्राइस भी सही होना चाहिए। सवाल है कि स्मार्ट प्रॉपरायटरी ट्रेडर क्या चाहता है? एक ट्रेडर वैसे स्टॉक में इनवेस्ट करना चाहता है जिसमें लिक्विडिटी ज्यादा है। इसका मतलब है कि उसमें टर्नओवर ज्यादा होना चाहिए यानी एंट्री और एग्जिट में किसी तरह की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। अगर बाय या सेल के ऑर्डर बड़े हैं तो कीमतों में बहुत ज्यादा उछाल नहीं आना चाहिए। दूसरा, ट्रेडर कम बिड/ऑफर स्प्रेड चाहता है। स्प्रेड क्या है?

अगर आपने विदेश यात्रा की है तो आप जरूर फॉरेन करेंसी खरीदने के लिए बैंक गए होंगे। आपने देखा होगा कि बैंक आपको फॉरेक्स का कोट ऑफर करता है। बैंक वह कम रेट ऑफर करता है, जिस पर वह आपसे विदेशी मुद्रा खरीद सकता है और ज्यादा रेट ऑफर करता है जिस पर वह आपको विदेशी मुद्रा बेच सकता है। खरीद कीमत और बिक्री कीमत के बीच के फर्क को स्प्रेड कहा जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो यह बैंक का प्रॉफिट मार्जिन होता है।

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