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Jio Financial Services के शेयर लिस्ट हुए, वैल्यूएशंस और कैपिटल गेंस टैक्स से लेकर जानिए अपने हर सवाल का जवाब

Jio Financial Services का नाम पहले रिलायंस स्ट्रेटेजिक इनवेस्टमेंट्स था। इस शेयर का डिस्कवर्ड प्राइस 261.85 रुपये था। पहले यह कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का हिस्सा थी। RIL से अलग होने के बाद आरआईएल के शेयरधारक को हर एक शेयर पर जियो फाइनेंशियल का एक शेयर एलॉट किया गया है

अपडेटेड Aug 21, 2023 पर 12:51 PM
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Jio Financial Services का स्टॉक अगले 10 ट्रेडिंग सेशंस में ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में रहेगा।

Jio Financial Services के शेयर आज (21 अगस्त) BSE और NSE में लिस्ट हो गए। BSE पर इसकी लिस्टिंग 265 रुपये पर हुई। NSE पर लिस्टिंग 262 रुपये पर हुई। पहले इस कंपनी का नाम रिलायंस स्ट्रेटेजिक इनवेस्टमेंट्स था। इस शेयर का डिस्कवर्ड प्राइस 261.85 रुपये था।  पहले यह कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का हिस्सा थी। RIL से अलग होने के बाद आरआईएल के शेयरधारक को हर एक शेयर पर जियो फाइनेंशियल का एक शेयर एलॉट किया गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज से अलग होने के बाद करीब एक महीने तक जेएफएस का शेयर एक डमी स्टॉक रहा। अब इसकी लिस्टिंग हो रही है। यह स्टॉक अगले 10 ट्रेडिंग सेशंस में ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में रहेगा।

ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट का क्या मतलब है?

ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में ट्रेडिंग का मतलब यह है कि इस शेयर में सिर्फ डिलीवरी बेसिस पर कारोबार होगा। अगर आप इस शेयर को खरीदते हैं तो आपको इसकी डिलीवरी लेनी पड़ेगी। आप इस शेयर को सुबह में खरीदकर दोपहर या शाम में बेच नहीं सकते। इसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयरों में इंट्रा-डे ट्रेडिंग की इजाजत 10 दिन तक नहीं होगी।


अगर कोई इनवेस्टर जियो फाइनेंशियल के स्टॉक को सुबह में खरीदता है और उसी दिन उसे बेचने की कोशिश करता है तो उसका ऑर्डर रिजेक्ट हो जाएगा। इसका मतलब है कि अगले 10 दिन तक इसमें सिर्फ डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग होगी।

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कई दिग्गज कंपनियों से ज्यादा होगा मार्केट कैपिटलाइजेशन

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के स्टॉक का सिंबल JIOFIN होगा। इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है। इस तरह यह कंपनी इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी NBFC कंपनी बन जाएगी। इसका मार्केट कैप निफ्टी 50 में शामिल कई दिग्गज कंपनियों के मार्केट कैप से ज्यादा होगा। इनमें Hero MotoCorp और Grasim Industries जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

RIL में JFS की 6.1 फीसदी हिस्सेदारी 

रिलायंस इंडस्ट्रीज में जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की 6.1 फीसदी हिस्सेदारी होगी। ट्रेजरी स्टॉक्स के ट्रांसफर से ऐसा होगा। ट्रेजरी स्टॉक का मतलब ऐसे शेयरों से जिसे इश्यूअर ने दोबारा अपने कब्जे में लिया है। RIL के पास ऐसे करीब 41.28 करोड़ शेयर हैं।

कितना हैं कंपनी का नेटवर्थ?

विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के डेटा के मुताबिक, JFS का नेट वर्थ 28,000 करोड़ रुपये है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज में इककी 6.1 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है। अगर इस हिस्सेदारी को निकाल दिया जाए तो जेएफएस का अपना नेटवर्थ करीब 14,000 करोड़ रुपये होगा। इनक्रेड इक्विटीज के जिग्नेश शियाल ने कहा, "कोर बिजनेस की वैल्यू ट्रेलिंग बुक वैल्यू की छह गुना है। हमें आगे अच्छी ऑर्गेनिक ग्रोथ की उम्मीद से इस वैल्यूएशन के कायम रहने की उम्मीद है।"

Sensex और Nifty से तीसरे दिन बाहर होगा यह स्टॉक

नोमुरा अल्टरनेटिव एंड क्वांट रिसर्च के मुताबिक, लिस्टिंग के तीसरे दिन के अंत में Jio Financial के स्टॉक दोनों प्रमुख सूचकांकों से बाहर हो जाएंगे। यह एक्सक्लूजन 24 अगस्त को होगा। इस वजह से Nifty 50 पैसिव ट्रैकर्स जेएफएस के करीब 9 करोड़ शेयर बेच सकते हैं। Sensex के पैसिव ट्रैकर्स करीब 5.5 करोड़ बेच सकते हैं।

टैक्स का कैलकुलेशन

डीमर्जर से पहले RIL का कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन 95.32 फीसदी था, जबकि जियो फाइनेंशियल का 4.68 फीसदी था। इससे निवेशकों को शेयरों को बेचने के वक्त कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन में मदद मिलेगी। इसका मतलब है कि जिन निवेशकों ने 19 जुलाई को (डीमर्जर से एक दिन पहले) RIL के स्टॉक खरीदे हैं, माना जाएगा कि उन्हें जियो फाइनेंशियल के एक शेयर के लिए 133 रुपये (2,853 रुपये के क्लोजिंग प्राइस का 4.68 फीसदी) चुकाए हैं।

क्या है JFS का फ्चूचर प्लान?

जेएफएस अपनी सब्सिडियरीज कंपनियों और ज्वाइंट वेंचर्स के जरिए कई तरह की फाइनेंशियल सर्विसेज और प्रोडक्ट्स ऑफर करेगी। कंपनी ने कहा है कि उसकी सेवाएं मर्चेंट्स और कंज्यूमर्स दोनों के लिए होगी। यह मुख्य रूप से NBFC और क्रेडिट मार्केट सेगमेंट में अपनी सेवाएं ऑफर करेगी। कंपनी का प्लान इंश्योरेंस, डिजिटल पेमेंट और एसेट मैनजमेंट के क्षेत्र में भी उतरने का है।

पिछले महीने JFS ने Blackrock के साथ समझौते का ऐलान किया था। यह (Blackrock) दुनिया का सबसे बड़ा एसेट मैनेजर है। यह समझौता एक म्यूचुअल फंड कंपनी शुरू करने के लिए हुआ है। दोनों कंपनियां मिलकर इंडियन फाइनेंशियल मार्केट में कई तरह के सॉल्यूशंस ऑफर करेंगी। इसमें 30 करोड़ डॉलर के शुरुआती इनवेस्टमेंट का प्लान है।

 

 

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