पैसेंजर व्हीकल्स और टू-व्हीलर स्टॉक्स में होगी मोटी कमाई, लैडरअप वेल्थ के राघवेंद्र नाथ ने बताई इसकी वजह

लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के एमडी राघवेंद्र नाथ को निवेश की दुनिया का 29 साल से ज्यादा अनुभव है। उन्होंने बताया कि कंपनियों के मार्च तिमाही के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। हालांकि, बैंकिंग, रियल एस्टेट, एनबीएफसी सेक्टर में अच्छे संकेत दिखे हैं

अपडेटेड May 17, 2024 पर 1:16 PM
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राघवेंद्र नाथ ने कहा कि पैसेंजर व्हीकल्स में एसयूवी की डिमांड बढ़ रही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने टू-व्हीलर्स और पैसेंजर्स व्हीकल्स की डिमांड में अच्छी वृद्धि का अनुमान जताया है।

स्टॉक मार्केट में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए मौकों की कमी नहीं है। बाजार में ज्यादा उतारचढ़ाव सिर्फ लोकसभा चुनाव के नतीजों या इसके बाद कुछ समय तक रह सकता है। मार्केट में निवेश के मौके के बारे में जानने के लिए मनीकंट्रोल ने लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के एमडी राघवेंद्र नाथ से बातचीत की। उनसे पूछा कि निवेश के लिए सबसे अच्छे सेक्टर कौन से हैं। उनसे यह भी पूछा कि क्या अमेरिका में फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट घटाने से पहले इंडिया में आरबीआई इंटरेस्ट रेट घटा सकता है।

इन वजहों से बढ़ेगी टू-व्हीलर्स स्टॉक्स की चमक

नाथ को इनवेस्टमेंट की दुनिया का 29 साल से ज्यादा अनुभव है। उन्होंने बताया कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। शहरीकरण बढ़ा है। लोगों के लिए कर्ज लेना पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है। इसका फायदा ऑटो सेगमेंट (Auto Segment) में टू-व्हीलर कंपनियों (Two Wheelers Companies) को मिलेगा।


फिलहाल कमर्शियल व्हीकल्स की बिक्री सुस्त

उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म में उन्हें पैसेंजर व्हीकल्स और टू-व्हीलर्स कंपनियों के स्टॉक्स अट्रैक्टिव दिख रहे हैं। पैसेंजर व्हीकल्स में एसयूवी की डिमांड बढ़ रही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने टू-व्हीलर्स और पैसेंजर्स व्हीकल्स की डिमांड में अच्छी वृद्धि का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल लोकसभा चुनावों की वजह से कमर्शियल व्हीकल्स की सेल्स थोड़ी सुस्त है। लेकिन, लंबी अवधि के लिए कमर्शियल व्हीकल्स कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश किया जा सकता है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के फोकस का फायदा कमर्शियल व्हीकल्स कंपनियों को मिलेगा।

फेडरल रिजर्व के पीछे-पीछे चलेगा आरबीआई

क्या आरबीआई फेडरल रिजर्व से पहले इंटरेस्ट रेट घटा सकता है? इसके जवाब में नाथ ने कहा कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अमेरिकी केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट्स में कमी के मामले में फेडरल रिजर्व के पीछे-पीछे चलते हैं। आरबीआई कह चुका है कि रिटेल इनफ्लेशन को काबू में करने पर उसका फोकस बन रहेगा। आने वाले महीनों में इनफ्लेशन के डेटा को देखने के बाद आरबीआई इंटरेस्ट रेट के बारे में फैसला लेगा। ऐसा लगता है कि मॉनेटरी पॉलिसी की अगली बैठक में RBI अपने मौजूदा रुख को जारी रखेगा।

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इन सेक्टर में लंबी अवधि के निवेश के मौके

मार्च तिमाही के नतीजों के बाद कौन सा सेक्टर अट्रैक्टिव दिखता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मार्च तिमाही के कंपनियों के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। बैंकिंग, एनबीएफसी और रियल एस्टेट में निवेश के मौके दिख रहे है। लेकिन, फिलहाल बैंकिंग सेक्टर काफी अट्रैक्टिव दिख रहा है। मार्च तिमाही के उनके नतीजे अच्छे आए हैं। लेकिन, हाई इंटरेस्ट रेट्स का असर उनके नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर पड़ सकता है। इसलिए आने वाली तिमाहियों में उनके प्रदर्शन को देखना होगा।

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