Market outlook : मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल बाजार में लगातार बनी दिक्कतों और अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में नए सिरे से तनाव के बावजूद, भारत का इक्विटी बाजार संवत 2082 में मजबूत प्रदर्शन के लिए तैयार है। भारतीय बाजारों के मजबूत कॉर्पोरेट आय, अच्छी घरेलू मांग और नीति में निरंतरता का सपोर्ट हासिल है।
वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कंपनियों की कमाई में तेज़ी आने की उम्मीद है। वहीं, वित्त वर्ष 2027 में इसमें दोहरे अंकों की बढ़त की संभावना है। कंपनियों को हेल्दी क्रेडिट ग्रोथ, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार और बुनियादी ढांचे में बढ़ते निवेश का फायदा मिलेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन फैक्टर्स के चलते सभी सेक्टरों के मुनाफे में बढ़त की उम्मीद है।
हालांकि भू-राजनीतिक तनाव और कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण शॉर्ट टर्म में वोलैटिलिटी जारी रह सकती है, लेकिन भारत के मजबूत घरेलू विकास, बेहतर अर्निंग आउटलुक और सरकार की नितियों में स्थिरता के चलते बाजार का मिड टर्म आउटलुक अच्छा बना हुआ है।
घरेलू निवेशकों से बाजार को मिलेगा मजबूत सपोर्ट
संवत 2081 में, भारी विदेशी बिकवाली और महंगे वैल्यूएशन के बावजूद, अच्छे घरेलू निवेश के कारण भारतीय शेयर बाज़ार मज़बूत रहे। पिछले 12 महीनों में अकेले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) ने 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश जुटाया, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी निकासी की भरपाई हो गई।
बाजार जानकार इस मजबूती का श्रेय मज़बूत सरकारी और निजी पूंजीगत व्यय, औद्योगिक क्षेत्र में हुए सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में सुधार के शुरुआती संकेतों के साथ-साथ शहरी मांग में बनी मजबूती को दे रहे हैं। ग्लोबल अनिश्चितता के बीच महंगाई पर नियंत्रण और राजनीतिक स्थिरता ने निवेशकों के सेंटीमेंट को और मज़बूत किया है।
दिवाली से दिवाली तक कैसी रही बाजार की चाल
पिछली दिवाली से अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में 3.3 प्रतिशत और 3.9 प्रतिशत की बढ़त हुई है। ये पिछले तीन वर्षों की इनकी सबसे कमजोर ग्रोथ है। व्यापक बाजारों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। बीएसई मिडकैप में 0.1 प्रतिशत की गिरावट (तीन सालों में पहली सालाना गिरावट) और बीएसई स्मॉलकैप में 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो पिछले छह वर्षों में आई पहली गिरावट है।
ग्लोबल इक्विटी का प्रदर्शन भी रहा अच्छा
ट्रेड तनाव कम होने, ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से जुड़ी उम्मीदों और यूएस फेड की तरफ से दरों में कटौती की संभावना के दम पर जोखिम उठाने की भावना को बल मिला है। इसके चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली है। पिछली दिवाली के बाद से एसएंडपी 500 में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डाउ जोंस में 7 प्रतिशत और नैस्डैक में 23 प्रतिशत की तेजी आई है। यूरोप में, एफटीएसई 100 इंडेक्स में 16 प्रतिशत, सीएसी 40 में 11 प्रतिशत और डीएएक्स में 33 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। एशिया में, शंघाई कंपोजिट में 22 प्रतिशत, हैंग सेंग में 32 प्रतिशत, निक्केई में 14 प्रतिशत, कोस्पी में 27 प्रतिशत और ताइवान में 17 प्रतिशत की तेजी नजर आई है।
सरकार की अनुकूल पॉलिसी और वैल्यूएशन सस्ते होने से सपोर्ट की उम्मीद
ग्लोबल लेवल पर मॉनीटरी साइकिल के अनुकूल होने की उम्मीद है। यूएस फेड और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2026 तक दरों में कटौती की संभावना है। महंगाई 2-6 प्रतिशत के अनुकूल स्तर के भीतर बनी रहने के कारण, आरबीआई भी धीरे-धीरे दरों में कटौती कर सकता है। मार्केट वैल्यूएशन फेयर लेवल पर बना हुआ है। निफ्टी वन इयर फॉरवर्ड अर्निंग के 19-20 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो मोटे तौर पर लांग टर्म एवरेज के करीब है। मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट तेज बढ़त के बाद कंसोलीडेट हो सकते हैं। लेकिन घरेलू बचत, सरकारी व्यय और एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली के सपोर्ट से लिक्विडिटी की स्थिति मजबूत बनी रहने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2027 में अर्निंग्स में दोहरे अंकों की बढ़त की उम्मीद
एचडीएफसी सिक्योरिटीज का कहना है कि CRR में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती, ब्याज दरों में 100 बेसिस प्वाइंट की कमी, बैंकों में बेहतर नकदी, आरबीआई द्वारा हाई डिविडेंड ट्रांसफर, बढ़ता सरकारी पूंजीगत व्यय और जीएसटी 2.0 जैसे सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2027 में अर्निंग्स में दोहरे अंकों की बढ़त देखने को मिल सकती है। इसका असर अच्छे मार्केट रिटर्न के रूप में देखने को मिल सकता है। इसके चलते मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में फिर से तेज़ी आ सकती है।
मार्केट आउटलुक
तकनीकी नजरिए से बाज़ार की स्थिति अच्छी बनी हुई है, निफ्टी के लिए ऊपर की तरफ 26,300-27,000 पर रेजिस्टेंस और 24,000-24,500 के आसपास सपोर्ट बना हुआ है। बाजार जानकारों को संवत 2082 में मिड-कैप और स्मॉल-कैप में रिकवरी की उम्मीद है। एक्पर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को मिड और स्मॉलकैप के क्वालिटी शेयरों पर नजर रखनी चाहिए।
बाजार जानकारों का कहना है कि मज़बूत घरेलू फंडामेंटल्स, सामान्य से बेहतर मानसून, जलाशयों के अच्छे स्तर, स्थिर रोज़गार दर और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के मामले में हुई प्रगति के दम पर बाहरी झटकों (जिनमें कोई भी नया अमेरिकी टैरिफ़ भी शामिल हैं) के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी। जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्निंग्स में मज़बूती आने की उम्मीद है। कमोडिटी की कीमतों में नरमी, महंगाई में कमी, बैंकिंग क्षेत्र के ठोस प्रदर्शन और ऑटो और कैपिटल गुड्स की मजबू मांग से अर्निंग्स को मदद मिलेगी।
हालांकि ग्लोबल अनिश्चितताओं के चलते निकट अवधि में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा मार्केट कंसोलीडेशन, लॉन्ग टर्म निवेशकों को अच्छे भाव पर मिल रहे गुणवत्ता वाले स्टॉक खरीदने का मौका प्रदान कर रहा है, जिससे अगली दिवाली तक बाजार के बेहतर प्रदर्शन की संभावना बनती है।
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