शेयर दलालों (Stock brokers) को जल्द ही पूंजी बाजार धोखाधड़ी (capital market frauds) को रोकने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी। इसमें म्यूल अकाउंट्स (mule accounts) यानी खच्चर खातों या मुखौटा खातों को समाप्त करने में मदद करना भी शामिल है। इस बारे में बोर्ड की बैठक हुई। बोर्ड की बैठक के बाद सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (SEBI chairperson Madhabi Puri Buch) ने मीडिया को बताया कि धोखाधड़ी और बाजार के दुरुपयोग की निगरानी के लिए बाजार मध्यस्थों (market intermediary) पर जिम्मेदारी डालने के लिए स्टॉकब्रोकर नियमों में संशोधन किया जाएगा।
जैसा कि नाम से पता चलता है। वे ऐसे खाते हैं जो केवल "कैरी" करने या अवैध गतिविधियों जैसे फ्रंट रनिंग या सर्कुलर ट्रेडिंग को अंजाम देने के लिए खोले गए हैं। ये एक तरह से मुखौटा खाते होते हैं जो किसी एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत होते हैं लेकिन अन्य लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। अन्य लोगों में फंड मैनेजर या ब्रोकर शामिल हो सकते हैं।
सेबी इससे कैसे निपटता है?
मार्केट रेगुलेटर अब अत्याधुनिक एल्गोरिदम और एक्सटेंसिव डेटा सेट का उपयोग करता है। जिसकी सहायता से यह फ्रंट-रनिंग या पंप-एंड-डंप योजनाओं जैसी गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है।
29 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुच ने अभिनव, लो-टेक मेथड्स या हाई-टेक सिस्टम्स का उपयोग करके ब्रोकर्स के गेटकीपिंग के तरीकों को साझा किया।
उदाहरण के लिए, एक बड़े ब्रोकरेज ने आवेदक के परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) के आधार पर खाता खोलने वाले आवेदक की आयु की जांच की। यदि आवेदक मध्यम आयु वर्ग का था, लेकिन पैन हाल ही में बना था। तो इससे खतरे की घंटी बजी कि खाता दुरुपयोग के लिए खोला जा रहा था। संभवतः वह म्यूल अकाउंट यानी कि खच्चर खाता था।
"एक व्यक्ति जो 45 वर्ष का है और उसके पास पहली बार पैन कार्ड आया है। उसके लिए बाजार में ट्रेडिंग करने का साधन कहां है।" उन्होंने ब्रोकर के तर्क को उद्धृत किया। ब्रोकरेज ने इसके आधार पर एक आवेदन को ठुकरा दिया था।
बुच ने यह भी कहा कि टेक-बेस्ड कुछ बड़े ब्रोकर ऐसे खातों की पहचान करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे थे। एक ब्रोकर ने देखा कि एक ग्राहक "दिन-ब-दिन अत्यधिक धन कमा रहा है।" ब्रोकर को लगा कि ऐसा करना असंभव था। लिहाजा ब्रोकरेज ने खाता बंद कर दिया।
क्या धोखेबाज अब भी इससे बच जाते हैं?
हां, क्योंकि रेगुलेटर के लिए किसी पर दोष मढ़ना कठिन है। जालसाज ऐसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं जो खातों को खोलने, लाभ को साझा करने की शर्तों आदि पर चर्चा करने वाले मैसेजेस को एन्क्रिप्शन और डिलीशन की अनुमति देते हैं। इसलिए, नियामक के लिए यह लगभग असंभव हो जाता है कि इसका दोष वापस से मैसेज को मूल रूप से लिखने वाले पर लगाया जाये।