मिडकैप स्टॉक्स और स्मॉलकैप स्टॉक्स की रफ्तार लॉर्जकैप से तेज, तो क्या आपको मिड और स्मॉलकैप में इनवेस्ट करना चाहिए?

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 100 लार्जकैप कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन और GDP का रेशियो 78 फीसदी था। यह फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के 84 फीसदी रेशियो के मुकाबले कम है। इसके मुकाबले मिडकैप कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी का रेशियो FY25 में 23 फीसदी था, जबकि FY24 में यह 16 फीसदी था

अपडेटेड Jul 08, 2025 पर 2:23 PM
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लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन के ट्रेंड में फर्क की वजह बीते कुछ सालों में इन शेयरों का प्रदर्शन हो सकता है।

छोटी, मध्यम और बड़ी कंपनियों की वैल्यूएशंस में अलग-अलग ट्रेंड देखने को मिला है। लार्जकैप कंपनियों की वैल्यूएशन में कमी आई है, जबकि समॉलकैप और मिडकैप कंपनियों की वैल्यूएशंस हाई लेवल पर बनी हुई है। इसका मतलब है कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में इनवेस्टर्स की ज्यादा दिलचस्पी बनी हुई है। सवाल है कि क्या मिडकैप और स्मॉलकैप की वैल्यूएशन भविष्य में भी हाई बनी रहेगी?

लार्जकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन में नरमी

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट में दिलचस्प बातें बताई गई हैं। इसमें कहा गया है कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 100 लार्जकैप कंपनियों (Largecap Stocks) के मार्केट कैपिटलाइजेशन और GDP का रेशियो 78 फीसदी था। यह फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के 84 फीसदी रेशियो के मुकाबले कम है। इसके FY26 में घटकर 77 फीसदी पर आ जाने का अनुमान है। यह इस बात का संकेत है कि बड़ी कंपनियों की वैल्यूएशन में नरमी का ट्रेंड है।


मिडकैप-स्मॉलकैप की बढ़ रही वैल्यूएशन

अगर मिडकैप कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी के रेशियो को देखा जाए तो यह बढ़ता दिख रहा है। मिडकैप का मतलब 101 से लेकर 250 रैंक वाली कंपनियों से है। इन कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी का रेशियो FY25 में 23 फीसदी था, जबकि FY24 में यह 16 फीसदी था। स्मॉलकैप कंपनियों की बात की जाए तो FY25 में यह रेशियो बढ़कर 24 फीसदी हो गया। FY24 में यह 23 फीसदी था। FY23 में यह सिर्फ 14 फीसदी था। FY26 में मिडकैप और स्मॉलकैप दोनों का यह रेशियो करीब 25 फीसदी पहुंच जाने का अनुमान है।

सभी लिस्टेड कंपनियों की वैल्यूएशन बढ़ने का अनुमान

अगर स्टॉक मार्केट्स में लिस्टेड सभी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी के रेशियो की बात करें तो इसके FY26 में 127 फीसदी रहने का अनुमान है। यह सितंबर 2024 के 146 फीसदी से कम है लेकिन फरवरी 2025 के 120 फीसदी से ज्यादा है। चॉइस वेल्थ के वाइस प्रेसिडेंट निकुंज सराफ ने कहा, "लार्जकैप स्टॉक्स अपने हिस्टोरिकल एवरेज के करीब हैं। इसका मतलब है कि उनकी वैल्यूएशन अपेक्षाकृत कम है, जिससे इनमें रिस्क कम है।"

प्रदर्शन में फर्क हो सकती है वजह

लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन के ट्रेंड में फर्क की वजह बीते कुछ सालों में इन शेयरों का प्रदर्शन हो सकता है। FY24 में Sensex 25 फीसदी और Nifty 28.6 फीसदी चढ़े। इसके मुकाबले Nifty Midcap 100 63 फीसदी चढ़ा, जबकि Nifty Smallcap 100 60 फीसदी चढ़ा। FY25 में Sensex और निफ्टी में से दोनों 5 फीसदी से ज्यादा चढ़े, जबकि मिडकैप में 5.6 फीसदी और स्मॉलकैप में 8 फीसदी तेजी आई।

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आपको क्या करना चाहिए?

क्लाइंट एसोसिएट्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर विशाल बजाज ने कहा, "वैल्यूएशन में इस फर्क का मतलब है कि इनवेस्टर्स को मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश करने में सेलेक्टिव एप्रोच रखना होगा। उन्हें सिर्फ उन मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में निवेश करना होगा जिनकी अर्निंग्स को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है। उधर लार्जकैप स्टॉक्स का रिस्क-रिवॉर्ड प्रोफाइल ज्यादा बैलेंस्ड नजर आता है। ऐसे में लार्जकैप स्टॉक्स में ज्यादा दिलचस्पी दिख सकती है। खासकर तब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है।"

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