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म्यूचुअल फंड्स ब्लॉक डील में डिसक्लोजर के नियमों में बदलाव चाहते हैं, जानिए क्या है पूरा मामला

म्यूचुअल फंडों का मानना है कि ब्लॉक डील के नियमों में बदलाव के दौरान डिसक्लोजर के नियमों को खत्म कर दिया जाना चाहिए। एएमसी के प्रतिनिधियों का कहना था कि ब्लॉक डील में बायर्स और सेलर्क के बारे में डिसक्लोजर का कोई फायदा नहीं होता। इसके उलट इससे संबंधित स्टॉक में लिक्विडिटी पर खराब असर पड़ सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 14, 2025 पर 5:19 PM
म्यूचुअल फंड्स ब्लॉक डील में डिसक्लोजर के नियमों में बदलाव चाहते हैं, जानिए क्या है पूरा मामला
सेबी ने ब्लॉक डील के नियमों की समीक्षा के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया है।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ब्लॉक डील में बायर और सेलर के नाम बताए जाने के पक्ष में नहीं है। हाल में म्यूचुअल फंडों के प्रतिनिधियों ने सेबी की तरफ से नियुक्त वर्किंग ग्रुप को इस बारे में बताया। सेबी ने ब्लॉक डील के नियमों की समीक्षा के लिए यह वर्किंग ग्रुप बनाया है। मार्केट रेगुलेटर ब्लॉक डील के मौजूदा नियमों में बदलाव करना चाहता है। वर्किंग ग्रुप की सिफारिशों पर विचार के बाद वह इस बारे में अंतिम फैसला लेगा।

डिसक्लोजर्स का असर शेयर की कीमतों पर पड़ने का डर

म्यूचुअल फंड के प्रतिनिधियों का कहना था कि ब्लॉक डील (Block Deals) में बायर्स और सेलर्स के बारे में डिसक्लोजर का कोई फायदा नहीं होता। इसके उलट इससे संबंधित स्टॉक में लिक्विडिटी पर खराब असर पड़ सकता है। एक फंड मैनेजर ने कहा, "जैसे ही ब्लॉक डील से जुड़े नामों का ऐलान होता है, दूसरे मार्केट पार्टिसिपेंट्स ट्रेंड फॉलो करने लगते हैं। इसका असर उस स्टॉक की कीमत और सप्लाई दोनों पर पड़ता है। कई बार ट्रांजेक्शन एक ब्लॉक डील में पूरा नहीं होता है। इससे कई ब्लॉक डील करनी पड़ती है। लेकिन, जैसे ही इस बारे में खबर बाहर आती है, स्ट्रेटेजी फेल कर जाती है।"

संस्थागत निवेशकों की स्ट्रेटेजी रिटेल इनवेस्टर्स से अलग

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