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NSE पर मई में लगभग 60 लाख शेयरों में हुआ लेन-देन, FIIs, NRIs रहे शुद्ध विक्रेता

NSE पर मई महीने में लगभग 57.8 लाख शेयरों में 2,986.55 रुपये प्रति शेयर के औसत भाव पर खरीद-फरोख्त हुई। जबकि मार्च में लगभग 18 लाख और अप्रैल में करीब 70 लाख शेयरों में कारोबार हुआ था। मई महीने का टर्नओवर वैल्यू 1,645 करोड़ रुपए रहा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मई महीने में 22.32 लाख शेयर बेचे जबकि घरेलू निवेशकों ने 37.21 लाख शेयर खरीदे

Edited By: Sunil Guptaअपडेटेड Jun 10, 2023 पर 8:42 AM
NSE पर मई में लगभग 60 लाख शेयरों में हुआ लेन-देन, FIIs, NRIs रहे शुद्ध विक्रेता
NSE विगत तीन वर्षों से कारोबार किए गए F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के मामले में विश्व का सबसे बड़ा एक्सचेंज रहा है। भारत में इस क्षेत्र में इसकी मोनोपोली है

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (National Stock Exchange of India(NSE) के लगभग 57.8 लाख शेयरों में मई महीने में 2,986.55 रुपये प्रति शेयर के औसत भाव पर खरीद-फरोख्त हुई। मार्च और अप्रैल में क्रमशः लगभग 18 लाख और 70 लाख शेयरों का कारोबार हुआ। मई का टर्नओवर वैल्यू 1,645 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। मई में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 22.32 लाख शेयर बेचे। घरेलू निवेशकों ने 37.21 लाख शेयर खरीदे। अनिवासी भारतीय निवेशकों ने शुद्ध रूप से लगभग 15.09 लाख शेयर बेचे। भाव के संदर्भ में देखें तो महीने के दौरान उच्चतम रिकॉर्ड 3,800 रुपये रहा, जबकि सबसे कम भाव 1,755 रुपये रहा। ब्रोकर्स का कहना है कि असामान्य रूप से कम भाव आमतौर पर संकेत देते हैं कि लेन-देन टैक्स से बचने के इरादे से किया गया हो सकता है।

बढ़ती प्रॉफिब्लिटी और आईपीओ की उम्मीद के बीच अनलिस्टेड बाजार में एक्सचेंज का शेयर का भाव 2019 और 2021 के बीच 3,500-3600 रुपये तक पहुंच गया था। पिछले एक साल में औसत भाव घटकर 3,000 रुपये से नीचे आ गया है।

एनएसई के शेयरों में डील करने वाले ब्रोकर्स का कहना है कि डील होने और बोर्ड की मंजूरी के बाद शेयर ट्रांसफर होने में चार-पांच महीने का समय लगता है, कभी-कभी इससे भी ज्यादा समय लगता है।

एनएसई शेयरों के लिए मजबूत चाहत आश्चर्यजनक नहीं है। पिछले तीन वर्षों से कारोबार किए गए F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के मामले में NSE दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज रहा है। भारत में ये इस क्षेत्र में एकाधिकार रखता है। एक्सचेंज नकदी बाजार में भी लगातार बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहा है। वित्त वर्ष 2013 में हिस्सेदारी 83% से वित्त वर्ष 23 में 93% तक पहुंच गई है।

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