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Option trading : क्वांट्सएप के शुभम अग्रवाल से जाने इस समय ऑप्शन ट्रेडिंग में कौन सी रणनीति होगी कारगर

Option trading : निफ्टी 20200 से ज्यादा की ऊंचाई से गिरकर 18800 के आसपास आ गया। उसके बाद गिरावट बढ़ी नहीं है, लेकिन सूचकांक में इस समय बढ़ोतरी भी नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में ट्रेंड फॉलो करने की रणनीति काम नहीं करती। ऐसे समय में बहुत से ट्रेडर शांति से बैठक जाते हैं। हालांकि इस स्थिति में ऑप्शन की रणनीति काम आ सकती है

अपडेटेड Nov 04, 2023 पर 3:25 PM
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ऑप्शन में लिए गए हर एक ट्रेड में स्टॉक फ्यूचर की तुलना में बेहतर फायदा होने की संभावना होती है। किसी ऑप्शन में 30 रुपये की गिरावट होने पर ऑप्शन प्रीमियम में 11 की गिरावट होती है। लेकिन 60 रुपये की बढ़त होने पर ऑप्शन प्रीमियम 32 तक बढ़ जाता है

शुभम अग्रवाल, क्वांट्सएप प्रा. लिमिटेड

Option trading : इक्विटी बाजार अक्सर ऐसे फेज में प्रवेश कर जाते हैं जब बाजार का रुझान साफ नहीं होता है। अक्सर ऐसी स्थिति तब बनती है जब एक मजबूत और बढ़ते हुए बाजार में बड़ी गिरावट आती है। हमारे बाजार इस समय ऐसी ही स्थिति में नजर आ रहे हैं। निफ्टी 20200 से ज्यादा की ऊंचाई से गिरकर 18800 के आसपास आ गया। उसके बाद गिरावट बढ़ी नहीं है, लेकिन सूचकांक में इस समय बढ़ोतरी भी नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में ट्रेंड फॉलो करने की रणनीति काम नहीं करती। ऐसे समय में बहुत से ट्रेडर शांति से बैठक जाते हैं। हालांकि इस स्थिति में ऑप्शन खरीदनें की रणनीति काम आ सकती है।

ये बात ध्यान में रखें की तमाम बार ऑप्शन खरीदार सही साबित नहीं होते। लेकिन गलत साबित होने पर उनको बहुत बड़ा घाटा नहीं होता। लेकिन सही साबित होने पर होने वाला मुनाफा बहुत बड़ा होता है।


इस पर आगे हम विस्तार से बात करेंगे, लेकिन इसके पहले कुछ खास बातें जान लेते हैं।

1. इस बात के साक्ष्य है कि अधिकांश ऑप्शन जीरो वैल्यू के साथ एक्सपायर होते हैं।

2. समय ऑप्शन बॉयर्स के लिए दुश्मन का काम करता है। क्योंकि समय बीतने के साथ प्रीमियम घटता जाता है।

3. सबसे खास बात यह है कि केवल ऑप्शन बॉयर्स ही अपनी पोजीशन से 100 फीसदी ग्रोथ हासिल करने की क्षमता रखते हैं।

इन तीनों बातों को समझना आसान है। इनकी वजह से हमें दो नतीजे मिल सकते हैं। पहला ये कि ऑप्शन बॉयर को अपनी पोजीशन पर शानदार रिटर्न मिल सकता है। दूसरा ये कि फैक्टर 1 और 2 के प्रभावी होने पर ऑप्शन बॉयर की रणीति के सफल होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। फिर भी उनको बहुत घाटा नहीं होता।

अब सवाल ये है कि बाजार की दिशा साफ न होने पर ऑप्शन बाइंग रणनीति कैसे कारगर हो सकती है?

किसी भी ट्रेंड फॉलो करने वाले सिस्टम में रुझान के साफ न होने से सफलता दर काफी कम हो जाती है। जब कोई ऐसे समय में ऑप्शन खरीदता है, तो यह एक सही कम्बाइंड इफेक्ट पैदा करता है। ऐसे समय में आप्शन खरीदने से कई छोटे नुकसान हो सकते हैं लेकिन जब मुनाफा होता है तो बहुत बड़ा होता है।

आइए इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए 1000 रुपए पर ट्रेड कर रहे स्टॉक X का 20 दिन में एक्सपायर होने वाला 1020 का कॉल 20 रुपए पर ट्रेड कर रहा है। अगर दो दिन में ये स्टॉक टूटकर 970 रुपए पर आ जाता है तो इसकी 1020 की कॉल का भाव गिर कर 9 रुपए पर आ जाएगा। लेकिन अगर इन 2 दिनों में स्टॉक बढ़कर 1060 रुपए हो जाता है तो 1020 की कॉल का भाव बढ़कर 52 रुपए पर पहुंच जाएगा।

इससे साफ होता है कि ऑप्शन में लिए गए हर एक ट्रेड में स्टॉक फ्यूचर की तुलना में बेहतर फायदा होने की संभावना होती है। किसी ऑप्शन में 30 रुपये की गिरावट होने पर ऑप्शन प्रीमियम में 11 की गिरावट होती है। लेकिन 60 रुपये की बढ़त होने पर ऑप्शन प्रीमियम 32 तक बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि आप एक ही लक्ष्य और स्टॉप लॉस के साथ तीन बार गलत हो सकते हैं और सिर्फ एक बार सही हो सकते हैं और फिर भी अपका पैसा नहीं खोएगा।

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इस तरह अस्पष्ट ट्रेंड के दौरान कम सफलता दर की सबसे बड़ी समस्या यहां हल हो गई है। अब सवाल यह है कि ऐसे समय में कौन सा ऑप्शन खरीदा जाए? हम सभी जानते हैं कि बुलिश ट्रेड के लिए कॉल ऑप्शन चुना जाता है और मंदी वाले ट्रेड के लिए पुट ऑप्शन चुना जाता है। ऐसी स्थिति में निकटतम एक्सपायरी वाला ऑप्शन खरीदने की कोशिश करें।

आखिरी सवाल यह है कि हमें इस ट्रेड के लिए कौन सी स्ट्राइक चुननी चाहिए? इसका जबाव ये है कि मौजूदा बाजार भाव से थोड़ा ज्यादा स्ट्राइक प्राइस वाला एक कॉल ऑप्शन और मौजूदा बाजार भाव से थोड़ा कम स्ट्राइक वाला एक पुट ऑप्शन खरीदें। अस्पष्ट रुझान वाले बाजार में ये ट्रिक कारगर साबित हो सकती है।

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