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Paytm News: तीन विदेशी निवेशकों ने सितंबर तिमाही में धड़ाधड़ बेचे शेयर, लेकिन इन म्यूचुअल फंडों ने लगाया पैसा

Paytm News: पेटीएम के शेयरहोल्डिंग पैटर्न में अब तीन विदेशी निवेशकों का नाम दिख नहीं रहा है। इसका खुलासा पेटीएम के लिए सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग पैटर्न से हुई है। इस बिकवाली के बाद FPIs और FPIs को मिलाकर विदेशी इंस्टीट्यूशंस की पेटीएम में हिस्सेदारी जून तिमाही में 58.24 फीसदी से गिरकर 55.24 फीसदी पर आ गई

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 17, 2024 पर 5:20 PM
Paytm News: तीन विदेशी निवेशकों ने सितंबर तिमाही में धड़ाधड़ बेचे शेयर, लेकिन इन म्यूचुअल फंडों ने लगाया पैसा
Paytm में सितंबर तिमाही में भारतीय म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी जून तिमाही में 6.8 फीसदी पर थी जो सितंबर तिमाही में बढ़कर 7.86 फीसदी पर पहुंच गई।

Paytm News: पेटीएम में विदेशी पोर्टपोलियो निवेशकों (FPIs) सोसायटी जनरल, यूबीएस प्रिंसिपल कैपिटल एशिया और टाइगर पैसिफिक मास्टर की हिस्सेदारी 1-1 फीसदी से नीचे आ गई है। इसका खुलासा पेटीएम के लिए सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग पैटर्न से हुई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन तीनों निवेशकों की पेटीएम में भी कुछ हिस्सेदारी बची है या उन्होंने पूरी हिस्सेदारी बेच दी है क्योंकि एक्सचेंजों पर 1 फीसदी से कम होल्डिंग वाले शेयरहोल्डर्स का डेटा नहीं दिखता है। इस बिकवाली के बाद FPIs और FPIs को मिलाकर विदेशी इंस्टीट्यूशंस की पेटीएम में हिस्सेदारी जून तिमाही में 58.24 फीसदी से गिरकर 55.24 फीसदी पर आ गई।

जून तिमाही में सोसाइटी जनरल की हिस्सेदारी 1.98 फीसदी (1.25 करोड़ शेयर), यूबीएस प्रिंसिपल कैपिटल एशिया की 1.06 फीसदी (67.6 लाख शेयर) और टाइगर पैसिफिक मास्टर फंड की 1.03 फीसदी (65.8 लाख शेयर) हिस्सेदारी थी। हालांकि अब सितंबर तिमाही के आखिरी में इनकी हिस्सेदारी 1-1 फीसदी के नीचे आ गई है। FPIs की हिस्सेदारी तिमाही आधार पर 20.04 फीसदी से घटकर 16.77 फीसदी पर आ गई। एसएआईएफ पार्टनर्स, एंटफिन और रीसाइलेंट एसेट जैसे विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं हुआ।

खुदरा निवेशकों ने घटाई हिस्सेदारी तो म्यूचुअल फंडों ने बढ़ाया दांव

सितंबर तिमाही में भारतीय म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी जून तिमाही में 6.8 फीसदी पर थी जो सितंबर तिमाही में बढ़कर 7.86 फीसदी पर पहुंच गई। जिन म्यूचुअल फंडों ने हिस्सेदारी बढ़ाई है, उनमें निप्पन म्यूचुअल फंड और मिरे म्यूचुअल फंड शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी इस दौरान 13.19 फीसदी से घटकर 14.28 फीसदी पर आ गई। छोटे शेयरहोल्डर्स यानी 2 लाख रुपये से कम के निवेश वाले शेयरहोल्डर्स की संख्या 11.4 लाख से घटकर 10.3 लाख पर आ गई।

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