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Defence कंपनियों के शेयर इनवेस्टर्स को कर सकते हैं मालामाल, PhillipCapital ने दी इन स्टॉक्स में निवेश की सलाह

फिलिप कैपिटल का कहना है कि डिफेंस सेक्टर में लंबी अवधि में अच्छी ग्रोथ के कई कारण हैं। कंपनियों की ऑर्डर बुक स्ट्रॉन्ग है। लोकलाइजेशन और मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन के जरिए कंपनियां समय पर प्रोजेक्ट पूरे करने की स्थिति में हैं। सरकार की तरफ से डिफेंस सेक्टर को सपोर्ट मिल रहा है। कंपनियां इन-हाउस आरएंडी इनवेस्टमेंट्स पर जोर दे रही हैं

अपडेटेड Jul 11, 2023 पर 12:12 PM
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ब्रोकरेज फर्म ने 6-8 साल में डिफेंस कंपनियों के लिए 110 अरब डॉलर के मौकों के बारे में बताया है। हालांकि, इंडिया का अभी डिफेंस रेवेन्यू सिर्फ 8 अरब डॉलर है।

ब्रोकरेज फर्म PhillipCapital ने डिफेंस सेक्टर पर अपना पॉजिटिव ऑउटलुक बनाए रखा है। उसका मानना है कि डिफेंस कंपनियों के शेयरों में लंबी अवधि में शानदार कमाई की संभावना दिख रही है। ब्रोकरेज फर्म का यह भी मानना है कि आने वाले समय में डिफेंस के प्रमुख प्रोडक्ट्स का मार्जिन बढ़ सकता है। इसकी वजह यह है कि कंपनियों की क्षमता में सुधार हो रहा है। साथ ही सरकार देश में ही डिफेंस उपकरणों के उत्पादन पर जोर दे रही है। फिलिपकैपिटल ने Bharat Electronics (BEL), Bharat Dynamics (BDL), Solar Industries India (SOIL) और MTAR को अपनी पसंद बताया है। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि इन कंपनियों का रिस्क-रिवॉर्ड रेशियो फेवरेबल है।

डिफेंस सेक्टर को सरकार की मदद

फिलिप कैपिटल का कहना है कि डिफेंस सेक्टर में लंबी अवधि में अच्छी ग्रोथ के कई कारण हैं। कंपनियों की ऑर्डर बुक स्ट्रॉन्ग है। लोकलाइजेशन और मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन के जरिए कंपनियां समय पर प्रोजेक्ट पूरे करने की स्थिति में हैं। सरकार की तरफ से डिफेंस सेक्टर को सपोर्ट मिल रहा है। कंपनियां इन-हाउस आरएंडी इनवेस्टमेंट्स पर जोर दे रही हैं। DRDO की तरह से भी डिफेंस सेक्टर को अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। इन कंपनियों का डिविडेंड पे-आउट 30-60 फीसदी है।


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6-8 साल में 110 अरब डॉलर के मौके

ब्रोकरेज फर्म ने 6-8 साल में डिफेंस कंपनियों के लिए 110 अरब डॉलर के मौकों के बारे में बताया है। हालांकि, इंडिया का अभी डिफेंस रेवेन्यू सिर्फ 8 अरब डॉलर है। फिलिपकैपिटल की रिपोर्ट में डिफेंस के ऑर्डर्स के बारे में भी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि डिफेंस कंपनियां ऐसे प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रही हैं, जिन्हें पहले डेवलप किया जा चुका है या फॉरेन OEM से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो चुका है। सबसे ज्यादा मौके डिफेंस एयरोस्पेस में होंगे। इन कंपनियों को 44 अरब डॉलर के ऑर्डर मिल सकते हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा ऑर्डर डिफेंस शिपबिल्डिंग में आने की उम्मीद है। यह 40 अरब डॉलर हो सकते हैं। मिसाइल/आर्टिलरी गन सिस्टम में 26 अरब डॉलर के ऑर्डर की उम्मीद है।

आत्मनिर्भरता पर फोकस का मिल रहा फायदा

PhillipCapital ने सरकार की पॉलिसी के बारे में कहा है कि वह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर फोकस कर रही है। इसके लिए वह पॉलिसी में बदलाव कर रही है। स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप मॉडल के जरिए प्राइवेट पार्टिसिपेशन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार उन उपकरणों की लिस्ट बढ़ा रही है, जिनके आयात पर रोक रहेगी। कई प्रोडक्ट्स के लिए FDI लिमिट बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर्स बनाए जा रहे हैं।

घरेलू कंपियों से बढ़ा रहा है प्रोक्योरमेंट

इंडियन डिफेंस सेक्टर में बड़े रिफॉर्म्स हुए हैं। इससे कंपनियों की एफिशियंसी और आत्मनिर्भरता बढ़ रही है। मेक इन इंडिया पर फोकस से देश में ही डिफेंस इक्पिवमेंट का प्रोक्योरमेंट बढ़ा है। यह 38 फीसदी से बढ़कर FY23 में 68 फीसदी हो गया है। डिफेंस प्रोक्योरमेंट के आसान नियम और उदार ऑफसेट क्लॉज की वजह से इस सेक्टर में विदेशी निवेश भी बढ़ा है। ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (OFB) को कंपनी बनाने के भी फायदे हुए हैं।

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