पूर्ण बजट 2024 को पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 4 स्पष्ट संदेश थे- पहला, इक्विटी निवेश को बाकी सभी चीजों से ऊपर नहीं रखा जा सकता; दूसरा, सरकार की ओर से संचालित पूंजीगत व्यय अब ग्रोथ का प्राइमरी ड्राइवर नहीं रह सकता; तीसरा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन एक समस्या क्षेत्र है, जिसे प्राथमिकता मिलनी चाहिए और चौथा यह कि वित्त मंत्री फिस्कल कंसालिडेशन को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं।
अब अगर यह सोचें कि शेयर बाजार के निवेशकों के लिए इसके क्या मायने हैं तो पहला संदेश थोड़ा परेशान करने वाला है, जो लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों तरह के कैपिटल गेन्स टैक्स को बढ़ाने के प्रस्ताव से उपजा है। भले ही 2.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स, इक्विटी बाजारों से पैसे मूव करने के लिए रिटर्न समीकरण को बहुत अधिक नहीं बदल सकता है, लेकिन शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में वृद्धि निश्चित रूप से इक्विटी की चमक को कुछ हद तक कम कर सकती है, खासकर ऐसे समय में जब बाजार पहले से ही हाई वैल्यूएशन पर हैं।
कुछ मार्केट पार्टिसिपेंट्स कैपिटल गेन्स टैक्स में वृद्धि को इस बात के संकेत के रूप में देख रहे हैं कि सरकार इक्विटी बाजारों के लिए किसी भी तरह के प्रिफरेंशियल टैक्स ट्रीटमेंट को खत्म करना चाहेगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बदलाव वित्त मंत्री की ओर से एक संकेत है कि इक्विटी बाजार में निवेश को निजी पूंजीगत व्यय से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए। बजट के बाद शेयर बाजार में आने वाला नया पैसा, हाई क्वालिटी वाले लेकिन कम कीमत वाले शेयरों में निवेश किए जाने की संभावना है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ेंगी।
कौन से शेयर हैं ओवरप्राइस्ड
शेयर बाजार में बिजली, रिन्यूएबल एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के स्टॉक उचित प्राइस वाले या ओवरप्राइस्ड लगते हैं। लेकिन जब तक ग्रोथ के मामले में स्पष्ट गिरावट नहीं दिखाई देती, तब तक स्टॉक किसी भी बड़े करेक्शन के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों ने अब तक बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, जैसे कि कंज्यूमर स्टॉक, वैल्यूएशंस के कारण आकर्षक नहीं लगते हैं। हालांकि आने वाली तिमाहियों में इन स्टॉक के लिए ग्रोथ थोड़ा बेहतर हो सकती है।
कुल मिलाकर, धीमी वृद्धि देने वाले लेकिन बेहतर गुणवत्ता वाले स्थिर आय प्रदान करने वाले उपभोक्ता व्यवसायों और भविष्य में उच्च वृद्धि के वादे पर पूरी तरह से बढ़ते शेयरों के बीच कम होता अंतर, निवेशकों के लिए कोई आसान विकल्प नहीं छोड़ता है। ग्रामीण खर्च में भारी उछाल और रोजगार सृजन की योजनाओं से तत्काल अवधि में शेयर बाजार के नजरिए से महत्वपूर्ण लाभ मिलने की संभावना नहीं है।
किन शेयरों की है उचित वैल्यू
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैंक ही एकमात्र ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें स्टॉक्स कुछ हद तक उचित वैल्यू वाले दिखते हैं। फार्मा रक्षात्मक खेल हो सकता है। छोटे-साइज वाले कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो कुछ ट्रैक्शन देख सकते हैं, क्योंकि वे अत्यधिक वैल्यूड नहीं लगते हैं और सकारात्मक पक्ष पर हैरान करने वाली आय की संभावना रखते हैं।
क्या होनी चाहिए स्ट्रैटेजी
कुल मिलाकर बाजार के ऊंचे स्तरों पर होने के साथ, सबसे अच्छी निवेश रणनीति यही हो सकती है कि विभिन्न क्षेत्रों में विविधता बनाए रखी जाए और रिलेटिव बेसिस पर उचित वैल्यूएशन पर कारोबार करने वाले शेयरों पर फोकस किया जाए। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, कोटक बैंक और आईटीसी जैसे उच्च गुणवत्ता वाले शेयर यहां से स्थिर रिटर्न दे सकते हैं। धीरे-धीरे और लगातार, शेयर बाजारों में आने वाले नए पैसे को इन शेयरों में लगाया जा सकता है, जिससे उन्हें उनकी अपेक्षाकृत कम वैल्यूएशन से ऊपर उठाया जा सकता है। इसलिए, एक अच्छी रणनीति यह होगी कि अगले बड़े स्टॉक पर ध्यान न दिया जाए, बल्कि मौजूदा बड़े, परखे हुए स्टॉक पर ध्यान दिया जाए।