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इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में बड़े बदलाव की तैयारी, EV इंपोर्ट ड्यूटी 110% से घट कर 15% होनी संभव

अगर टेस्ला जैसी कोई कंपनी भारत में निवेश का कमिटमेंट करती है और कहती है कि वह देश में कम से कम 500 अरब डॉलर निवेश करेगी तो उसे शुरुआत में हर साल 8000 यानी 5 साल में लगभग 40000 गड़ियों पर 15 फीसदी की कंसेशनल रेट पर इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 21, 2025 पर 10:35 AM
इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में बड़े बदलाव की तैयारी, EV इंपोर्ट ड्यूटी 110% से घट कर 15% होनी संभव
जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों की कई शंकाओं का समाधान होगा। इस मुद्दे पर सरकार ने पिछले कई महीनों में तमाम स्टेक होल्डरों के साथ सलाह मशविरा किया है। इसके बाद ही इस तरह की नीति लाने का फैसला किया गया है

EV पॉलिसी पर एक बड़ी खबर आई है। देश में EV पर बनाई गई पॉलिसी को स्मेट पॉलिसी कहते हैं। सरकार ने ये पॉलिसी बनाई ही उन कंपनियों के लिए है जो प्रीमियम क्वालिटी के इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाती हैं और जो ग्लोबल मैन्युफैक्चरर हैं। सरकार चाहती है कि ऐसी बड़ी कंपनिया भारत में आएं, भारत में मैन्युफैक्चरिंग करें और शुरु के कुछ सालों में इंपोर्ट ड्यूटी में छूट का फायदा उठाएं। शर्त ये है कि अगर टेस्ला जैसी कोई कंपनी भारत में निवेश का कमिटमेंट करती है और कहती है कि वह देश में कम से कम 500 अरब डॉलर निवेश करेगी तो उसे शुरुआत में हर साल 8000 यानी 5 साल में लगभग 40000 गड़ियों पर 15 फीसदी की कंसेशनल रेट पर इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगा। यानी अभी जो गाड़ियां 110 फीसदी ड्यूटी पर इंपोर्ट की जाती है उनको 15 फीसदी के कंसेशनल रेट पर इंपोर्ट किया जा सकेगा। एक दम सरल शब्दों में कहें तो इन शर्तों को पूरा करने पर इंपोर्ट ड्यूटी 110 फीसदी से घटकर 15 फीसदी हो सकती है।

जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों की कई शंकाओं का समाधान होगा। इस मुद्दे पर सरकार ने पिछले कई महीनों में तमाम स्टेक होल्डरों के साथ सलाह मशविरा किया है। इसके बाद ही इस तरह की नीति लाने का फैसला किया गया है।

सरकार ने EV पॉलिसी में कुछ छोटे-मोटे बदलाव और किए हैं। जैसे अगर देश में कोई कंपनी पहले से मौजूद है लेकिन अब वह इलेक्ट्रिक असेंबली लाइन भी लगाना चाहती तो वह भी इस स्कीम का फायदा उठा सकती है। साथ चार्जिंग में भी उनको 5 फीसदी तक की रहत मिल सकती है। कंपनियों को इसके लिए 120 दिनों में अर्जी देनी होगी।

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे पर अब तक 3-4 कंसल्टेशन हो चुके हैं। टेस्ला में इनमें अब तक कोई खास रुचि नहीं दिखाई है। लेकिन लेकिन यूरोपियन और कोरियन मैन्युफैक्चरर्स की और से इंटरेस्ट दिखा है। साथ ही वियतनाम की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी विनफास्ट ने भी इसमें रुचि दिखाई है।

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