Get App

अनिल अंबानी की Reliance Infra का शेयर 4% चढ़ा, कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले से बढ़ी खरीद

Reliance Infrastructure Share Price: कंपनी ने कहा है कि वह कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले का डिटेल में रिव्यू कर रही है और कानूनी सलाह के आधार पर या तो फैसले को लागू करने के लिए आगे बढ़ेगी या 27 सितंबर, 2024 के फैसले को चुनौती देगी, जिसमें मध्यस्थता फैसले में हस्तक्षेप हुआ है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Sep 30, 2024 पर 3:58 PM
अनिल अंबानी की Reliance Infra का शेयर 4% चढ़ा, कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले से बढ़ी खरीद
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर बीएसई पर 30 सितंबर को बढ़त के साथ 330 रुपये पर खुला।

Reliance Infrastructure Stock Price: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में 30 सितंबर को 4 प्रतिशत तेजी आई। इसकी वजह है कलकत्ता हाई कोर्ट का एक फैसला। दरअसल कंपनी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में पश्चिम बंगाल स्थित दामोदर वैली कॉर्प (DVC) के खिलाफ 780 करोड़ रुपये का आर्बिट्रेशन केस जीत लिया है। कोर्ट ने विवाद में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पक्ष में आए मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर बीएसई पर 30 सितंबर को बढ़त के साथ 330 रुपये पर खुला। इसके बाद यह पिछले बंद भाव से 7 प्रतिशत चढ़ा और 345.40 रुपये के हाई तक गया। कारोबार खत्म होने पर शेयर करीब 4 प्रतिशत की ​बढ़त के साथ 336.20 रुपये पर सेटल हुआ। कंपनी का मार्केट कैप 13300 करोड़ रुपये हो गया है। बीएसई पर शेयर का 52 सप्ताह का उच्च स्तर 350.90 रुपये और अपर प्राइस बैंड 10 प्रतिशत सर्किट लिमिट के साथ 355.20 रुपये है।

Reliance Infrastructure और DVC में क्या है विवाद

एक दशक से भी अधिक समय पहले रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में 3,750 करोड़ रुपये में 1,200 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए ठेका मिला था। विवादों और अन्य कारणों से प्रोजेक्ट में देरी हुई, जिसके कारण DVC ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से हर्जाना मांगा। लेकिन रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इसे चुनौती दी और 2019 में एक आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल यानि कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही DVC को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 896 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके बाद DVC ने आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल के आदेश को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें