रुपया एक कारोबारी सत्र से दूसरे कारोबारी सत्र में लगातार गिर रहा है। इस समय डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के अपने मनोवैज्ञानिक लेवल के आसपास चक्कर लगा रहा है। यह सच है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से इंपोर्ट की जाने वाली चीजों की महंगाई बढ़ती है जिससे दूसरे मैक्रो इकोनॉमी फंडामेंटल पर निगेटिव असर पड़ता है।