सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 23 नवंबर को प्राथमिकता वितरण मॉडल (priority distribution model)पर काम करने वाले AIF स्कीम्स (अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स स्कीम्स) को किसी नई निवेश (इनवेस्टी) कंपनी में निवेश करने से रोक दिया है। इस बारे में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सेबी ने इस तरह के निवेश पर तब तक के लिए रोक लगा दी है जब तक वह इस पर विचार नहीं कर लेता। ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। मार्केट रेगुलेटर इस मामले पर अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट पॉलिसी एडवाइजरी कमेटी (AIPAC)और इंडस्ट्री के साथ विचार कर रही है।
सेबी ने कहा कि उसने सिक्यूरिटी मार्केट में निवेशकों के हितों की रक्षा करने, सिक्यूरिटी मार्केट के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने और सिक्यूरिटी मार्केट को रेग्यूलेट करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा 11 (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये सर्कुलर जारी किया है।
सेबी ने इस सर्कुलर में कहा है कि लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि स्पॉन्सर्स घाटे का बोझ अपने ऊपर कम ले रहे हैं। यह भी देखने को मिला है कि AIF की कुछ स्कीमों के लिए कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं जिनकी वजह से निवेशकों का एक वर्ग अन्य वर्गों के निवेशकों या यूनिट धारकों की तुलना में AIF में अपने निवेश के अनुपात से अधिक नुकसान साझा करता है। जबकि नियम था कि जिस अनुपात में निवेश किया जा रहा है उसी हिसाब से घाटे का बोझ भी होगा। लेकिन कुछ स्कीमों में घाटे का बोझ उनके निवेशकों पर यह कहकर ज्यादा डाला जा रहा था कि उनके पेमेंट में प्रॉयरिटी है।
बता दें कि AIF निजी तौर पर पूल किये गये निवेश स्कीम (investment vehicle) होते हैं। इस स्कीमों में निवेशकों से जुटाए गए पैसे को निवेशकों के लाभ के लिए एक पूर्वनिर्धारित निवेश योजना के तहत निवेश किया जाता है। हालांकि, AIF में कम से कम निवेश की सीमा एक करोड़ रुपए होती है, जिसे बड़े निवेशक डायवर्सिफिकेशन के लिए अपनाते हैं।