बाजार नियामक SEBI ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) और हिंडनबर्ग (Hindenburg) से जुड़े मसले पर कुछ भी बोलने से इनकार किया है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच का कहना है कि यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है तो इस पर मार्केट रेगुलेटर के लिए कोई भी टिप्पणी करना सही नहीं होगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सेबी की चेयरपर्सन ने अडानी-हिंडनबर्ग संकट के साथ-साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPIs) के बेनेफिशिएल ओनरशिप से जुड़े सवालों पर बार-बार खारिज किया।
Adani Group के मामले में जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की कमेटी
सेबी की चेयरपर्सन ने कहा कि अदाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच में जो भी तथ्य मिलेंगे, उसे सुप्रीम कोर्ट की गठित जांच समिति को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सेबी को इस मामले से जुड़ी किसी भी जानकारी का सार्वजनिक खुलासा करने की अनुमति नहीं है। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यों वाली एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था।
इस कमेटी का काम यह पता लगाना है कि अदाणी ग्रुप या अन्य कंपनियों से जुड़े मामलों में नियमों के उल्लंघन का जो आरोप है, उसकी जांच में नियामकीय तौर पर असफलता हुई है या नहीं। कमेटी ने सेबी को इसे लेकर सभी जरूरी डिटेल्स साझा करने का निर्देश दिया है। यह दो महीने के भीतर सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया। अदाणी ग्रुप ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है लेकिन शेयरों में बिकवाली का दबाव अभी तक थमा नहीं है। इस मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की है और सेबी की भी कुछ पॉइंट्स पर जांच का आदेश दिया है।
इसमें सेबी को यह देखना है कि क्या सिक्योरिटीज कांट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स 1957 के रूल 19ए का उल्लंघन हुआ है? इस नियम के तहत लिस्टड कंपनी में पब्लिश शेयरहोल्डिंग को कम से कम 25 फीसदी रखने का प्रावधान है। क्या कोई सौदा ऐसा है जिससे जुड़ी जानकारियों का खुलासा नहीं हुआ? क्या मौजूदा कानून के मुताबिक स्टॉक प्राइस को मैनिपुलेट किया गया? इन सभी सवालों के जवाब सेबी को खोजकर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को भेजना है।