SEBI ने डेट सिक्योरिटीज के निवेशकों के लिए पेश की लिक्विडिटी विंडो सुविधा, इस तारीख से कर सकेंगे इस्तेमाल

विंडो के इस्तेमाल पर रिपोर्ट 3 वर्किंग डेज के अंदर स्टॉक एक्सचेंजों को पेश की जानी चाहिए। लिक्विडिटी विंडो सुविधा जारी होने के एक साल बाद तक उपलब्ध रहेगी। इश्यूअर्स को 45 दिनों के अंदर खरीदी गई सिक्योरिटीज को मैनेज करना जरूरी है, या तो उन्हें एक्सचेंजों पर बेचना है या उन्हें समाप्त करना है

अपडेटेड Oct 17, 2024 पर 8:59 AM
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इश्यूअर चुन सकते हैं कि इश्यूएंस के समय डेट सिक्योरिटीज के लिए लिक्विडिटी विंडो सुविधा प्रदान करनी है या नहीं।

SEBI ने स्टॉक एक्सचेंज मैकेनिज्म के माध्यम से डेट सिक्योरिटीज में निवेशकों के लिए लिक्विडिटी विंडो सुविधा शुरू की है। इस सुविधा की मदद से लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज रखने वाले निवेशक खास तारीखों पर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल करके इन सिक्योरिटीज को इश्यूअर को वापस बेच सकते हैं। इससे लिक्विडिटी सुनिश्चित होती है। सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि लिक्विडिटी विंडो सुविधा 1 नवंबर से उपलब्ध होगी। यह निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा निवेशकों के लिए बहुत काम की साबित होगी और इस तरह की डेट सिक्योरिटीज में उनके निवेश को बढ़ाने में मदद कर सकती है।

सेबी ने पाया कि कॉरपोरेट बॉन्ड को इलिक्विड माना जाता है क्योंकि कई संस्थागत निवेशक उन्हें मैच्योरिटी तक रखते हैं, जिससे कम ट्रेडिंग गतिविधि होती है। लिक्विडिटी में सुधार करने के लिए, विशेष रूप से खुदरा निवेशकों के लिए सेबी ने एक फ्रेमवर्क पेश किया है, जिसके तहत इश्यूअर लिक्विडिटी विंडो सुविधा प्रदान कर सकते हैं।

इश्यूअर पर निर्भर करेगा फैसला


इसके तहत इश्यूअर चुन सकते हैं कि इश्यू करने के समय डेट सिक्योरिटीज के लिए यह सुविधा प्रदान करनी है या नहीं। यह पब्लिक ऑफर्स या प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से डेट सिक्योरिटीज के नए इश्यूएंस पर लागू होता है। सेबी ने कहा कि इस सुविधा के लिए स्टेकहोल्डर्स रिलेशनशिप कमेटी (SRC) या समकक्ष बोर्ड-स्तरीय समिति की ओर से बोर्ड की मंजूरी और निगरानी की जरूरत होती है। यह पात्र निवेशकों के प्रति ट्रांसपेरेंट, ऑब्जेक्टिव और गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए।

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जारी होने के एक साल बाद तक उपलब्ध रहेगी यह सुविधा

लिक्विडिटी विंडो सुविधा जारी होने के एक साल बाद तक उपलब्ध रहेगी। इस स्कीम के तहत सिक्योरिटीज को फिर से जारी नहीं किया जा सकता है। सेबी ने कहा कि इश्यूअर, पात्रता को सभी निवेशकों या केवल खुदरा निवेशकों तक सीमित कर सकते हैं, बशर्ते कि वे सिक्योरिटीज को डीमैट रूप में रखें। इश्यू साइज का कम से कम 10% लिक्वडिटी विंडो के लिए एलोकेट किया जाना चाहिए, जिसमें प्रति विंडो प्रस्तुत की जाने वाली सिक्योरिटीज की संख्या को सीमित करने वाली सब-लिमिट्स हों। अगर मांग लिमिट से ज्यादा है तो एक्सेप्टेंस प्रपोर्शनेट होगी।

3 वर्किंग डेज तक ओपन रहेगी विंडो

लिक्वडिटी विंडो 3 वर्किंग डेज के लिए खुली रहेगी और मासिक या तिमाही आधार पर ऑपरेट हो सकती है, जिसमें वित्त वर्ष की शुरुआत में एसएमएस या वॉट्सऐप के माध्यम से सूचनाएं भेजी जाएंगी। निवेशक ट्रेडिंग घंटों के दौरान अपने डीमैट खातों में सिक्योरिटीज को ब्लॉक करके पुट ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें बिड्स को संशोधित करने या वापस लेने का विकल्प होता है। सेटलमेंट 4 वर्किंग डेज के अंदर होगा। पेमेंट विंडो बंद होने के एक दिन बाद किया जाएगा। इश्यूअर, वैल्यूएशन प्लस अर्जित ब्याज पर 100-बेसिस पॉइंट्स से अधिक की छूट नहीं दे सकते।

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इश्यूअर्स के लिए क्या निर्देश

इश्यूअर्स को 45 दिनों के अंदर खरीदी गई सिक्योरिटीज को मैनेज करना जरूरी है, या तो उन्हें एक्सचेंजों पर बेचना है या उन्हें समाप्त करना है। किसी भी बिक्री से भविष्य की विंडो के लिए इस्तेमाल की लिमिट की भरपाई होगी। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि विंडो के इस्तेमाल पर रिपोर्ट 3 वर्किंग डेज के अंदर स्टॉक एक्सचेंजों को पेश की जानी चाहिए। इश्यूअर्स को अपनी वेबसाइट्स पर ISIN-वाइज डिटेल, जैसे कि बकाया राशि, कूपन रेट्स और शेड्यूल, का खुलासा करना चाहिए और बदलाव के 24 घंटे के अंदर स्टेकहोल्डर्स को अपडेट करना चाहिए।

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First Published: Oct 17, 2024 8:56 AM

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