SEBI in Action: बाजार नियामक सेबी ने एक मामले में अरुण पंचारिया (Arun Panchariya) को 26.25 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस भेजा है। यह मामला हीरन ऑर्गोकम (Hiran Orgochem) के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स (GDRs) के मैनिपुलेशन से जुड़ा हुआ है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने अरुण को 26.25 करोड़ फटाफट चुकाने को कहा है। बाजार नियामक ने चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों के भीतर वह इन पैसों को चुकाने में फेल रहता है तो उसकी गिरफ्तारी हो सकती है और इसके अलावा बैंक खातों के साथ बाकी एसेट्स भी जब्त हो सकते हैं। अरुण पर अभी कुछ नियामकीय कार्यवाहियां चल रही हैं जो कुछ कंपनियों के GDR सब्सक्रिप्शन में फर्जीवाड़े से जुड़ी है।
इससे पहले जुलाई में लगाया था जुर्माना
यह डिमांड नोटिस 23 नवंबर को जारी हुआ है जब अरुण जुलाई में अपने ऊपर लगे जुर्माने को भरने में नाकाम रहा। ऐसे में अरुण को 15 दिनों के भीतर ब्याज और रिकवरी कॉस्ट समेत 26.25 करोड़ रुपये चुकाने हैं। जुलाई में सेबी ने हीरन ऑर्गोकेम के जीडीआर मैनिपुलेशन मामले में अरुण पंचारिया पर 25 करोड़ रुपये और मुकेश चौरदिया (Mukesh Chauradiya) पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सेबी ने यह आदेश अप्रैल 2010 से मई 2010 तक एक जांच के बाद दिया था। यह जांच इस बात के लिए हो रही थी कि क्या हीरन ऑर्गोकेम के जीडीआर को लेकर शेयर उचित तरीके से सोच-समझकर जारी किए गए थे?
क्या है GDR Manipulation Case
बीएसई पर लिस्टेड हीरन ने मई 2010 में 1 करोड़ डॉलर के 15.38 लाख जीडीआर जारी किए, जिसकी वैल्यू 4.61 करोड़ शेयरों से तय की गई यानी मई 2010 में 4.61 करोड़ अंडरलाइंग इक्विटी शेयर पर 1 करोड़ डॉलर के 15.38 लाख जीडीआर जारी हुए। सेबी ने पाया कि अरुण इसके जारी होने के हर चरण में अहम भूमिका में थे। यहां धोखाधड़ी ये हुई कि लोन लेकर फर्जी तरीके से GDR हासिल किया, फिर लोन नहीं चुकाया और GDR को शेयर में बदलकर इसे बेचा गया। इस मामले में मुकेश भी एक पक्ष बने रहे। सेबी के मुताबिक इन दोनों ने प्रोअबिशन ऑफ फ्रॉजलन्ट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज (PFUTP) रूल्स के प्रावधानों का उल्लंघन किया।