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F&O पर सेबी का नया नियम या इजराइल-ईरान जंग, स्टॉक मार्केट को किससे लगेगा अधिक झटका?

पिछले कुछ समय से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) पर सेबी के संभावित फैसले और मिडिल ईस्ट में गहराते तनाव के चलते मार्केट पर दबाव बढ़ा। अब F&O पर सेबी का फैसला आ चुका है और मिडिल ईस्ट में इजराइल और ईरान के बीच तनाव चरम सीमा पर पहुंच सकता है तो अहम सवाल ये उठ रहा है कि इन दोनों में किसका दबाव मार्केट पर अधिक पड़ेगा

अपडेटेड Oct 02, 2024 पर 7:59 PM
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मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सेबी के नियमों में बदलाव के हिसाब से मार्केट ढल जाएगा लेकिन इजराइल-ईरान के झगड़े से इसे अधिक झटका लग सकता है।

पिछले महीने घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) ताबड़तोड़ स्पीड से ऊपर चढ़ रहे थे। पहली बार निफ्टी ने 25250 के लेवल को पार कर दिया था तो सेंसेक्स भी 86000 से करीब 23 प्वाइंट्स ही दूर रह गया। लेकिन फिर अब सेंसेक्स 84300 और निफ्टी 25800 के नीचे आ चुका है। फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) पर सेबी के संभावित फैसले और मिडिल ईस्ट में गहराते तनाव के चलते मार्केट पर दबाव बढ़ा। अब F&O पर सेबी का फैसला आ चुका है और मिडिल ईस्ट में इजराइल और ईरान के बीच तनाव चरम सीमा पर पहुंच सकता है तो अहम सवाल ये उठ रहा है कि इन दोनों में किसका दबाव मार्केट पर अधिक पड़ेगा।

क्या है सेबी का नया नियम और मिडिल ईस्ट में कैसी है स्थिति?

स्टॉक मार्केट पर किसका दबाव अधिक पड़ेगा, इसे जानने से पहले समझते हैं कि सेबी ने नियमों में क्या बदलाव किए हैं और मिडिल ईस्ट में कैसी स्थिति है। सेबी ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स के फ्रेमवर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से कई फैसले लिए हैं। इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाया जाएगा और एक एक्सचेंज पर हर हफ्ते एक ही एक्सपायरी होगी। एक एक्सचेंज पर कई दिन एक्सपायरी होने से मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ती है। ये नियम 20 नवंबर से लागू होंगे। अब मिडिल ईस्ट में स्थिति की बात करें तो ईरान ने इजराल पर मिसाइल अटैक किया जिस पर इजराइल का कहना है कि कुछ दिन में यह जवाबी हमले करेगा।


एक्सपर्ट्स का क्या कहना है? किसका लगेगा अधिक झटका?

एसबीआई सिक्योरिटीज के टेक्निकल एंड डेरिवेटिव रिसर्च हेड सुदीप शाह का कहना है कि लॉट साइज को 5-10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने की वजह अनुभवहीन रिटेल ट्रेडर्स को बचाना है ताकि उन्हें वित्तीय झटका न लगे। इससे लोग F&O ट्रेडिंग की बजाय इक्विटी ट्रेडिंग की तरफ शिफ्ट होंगे और वे लॉन्ग टर्म वेल्थ बनाने पर जोर देंगे। सुदीप का कहना है कि हर एक्सचेंज पर एक हफ्ते में एक एक्सपायरी से एक्सयारी डे को एक्सेस ट्रेडिंग कम हो जाएगी जिससे वोलैटिलिटी कम होगी

एक्सिस सिक्योरिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजेश पालवीया का कहना है कि बड़े लॉट साइज और मार्जिन की जरूरतें बढ़ने से ट्रेडिंग के लिए अधिक पैसों की जरूरत पड़ेगी लेकिन इससे ओवरऑल कुछ खास नहीं बदलेगा। राजेश का मानना है कि लागत बढ़ने के चलते हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स को अपनी स्ट्रैटेजी में बदलाव करना पड़ सकता है। 5पैसाडॉटकॉम के रुचित जैन का कहना है कि बड़े ट्रेडर्स जल्द ही इन बदलावों के हिसाब से ढल जाएंगे। लॉट साइज के बड़े होने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि वे जरूरी मार्जिन बनाकर रख सकते हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सेबी के नियमों में बदलाव के हिसाब से मार्केट ढल जाएगा लेकिन इजराइल-ईरान के झगड़े से इसे अधिक झटका लग सकता है। क्योंकि यह अनिश्चितता को बढ़ाएगा और निवेशकों के सेंटिमेंट पर भारी दबाव डाल सकता है।

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