SEBI New Rule: कल 1 अक्टूबर से बदल जाएंगे इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम, जानें निवेशकों पर क्या होगा असर
SEBI New Rule: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) कल 1 अक्टूबर से डेरिवेटिव मार्केट के लिए नया नियम लागू करने जा रही है। यह नियम इंट्राडे ट्रेडिंग में अनावश्यक जोखिम और भारी उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लागू किया जा रहा है। SEBI ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि अब इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में हर ट्रेडिंग संस्था के लिए इंट्राडे पोजिशन की सीमा तय कर दी गई है
SEBI New Rule: स्टॉक एक्सचेंजों को ट्रेडिंग के दौरान 4 बार रैंडम तरीके से स्नैपशॉट लेकर निगरानी करनी होगी
SEBI New Rule: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) कल 1 अक्टूबर से डेरिवेटिव मार्केट के लिए नया नियम लागू करने जा रही है। यह नियम इंट्राडे ट्रेडिंग में अनावश्यक जोखिम और भारी उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लागू किया जा रहा है। SEBI ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि अब इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में हर ट्रेडिंग संस्था के लिए इंट्राडे पोजिशन की सीमा तय कर दी गई है, जिससे अनावश्यक जोखिम और बाजार में अस्थिरता को रोका जा सके। यह लिमिट कल 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।
नए नियम क्या हैं?
नेट इंट्राडे पोजिशन लिमिट: अब किसी भी एंटिटी की नेट पोजिशन (फ्यूचर्स-इक्विवेलेंट बेसिस पर) 5,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकेगी।
ग्रॉस इंट्राडे पोजिशन लिमिट: वहीं ग्रोस पोजिशन की सीमा ₹10,000 करोड़ तय की गई है, जो फिलहाल एंड-ऑफ-डे लिमिट के बराबर है।
निगरानी कैसे होगी?
स्टॉक एक्सचेंजों को अब ट्रेडिंग के दौरान कम से कम 4 बार रैंडम तरीके से स्नैपशॉट लेकर निगरानी करनी होगी। इनमें से एक स्नैपशॉट अनिवार्य रूप से दोपहर 2:45 बजे से 3:30 बजे के बीच लिया जाएगा। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि कई बार ट्रेडिंग सेशन के आखिरी घंटे में भारी गतिविधि देखी जाती है।
इसके अलावा, एक्सचेंज को पोजिशन की निगरानी करते समय इंडेक्स के मौजूदा प्राइस को भी ध्यान में रखना होगा, जिससे रियल-टाइम जोखिम का सही मूल्यांकन हो सके।
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी निवेशक या ट्रेडर बड़े सौदे कर के बाजार की स्थिरता को प्रभावित न करे, खासकर ऑप्शन एक्सपायरी डे पर जब भारी अस्थिरता देखने को मिलती है।
नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई
अगर कोई एंटिटी तय सीमा का उल्लंघन करती है, तो:
- स्टॉक एक्सचेंज उस एंटिटी के ट्रेडिंग पैटर्न की जांच करेगा।
- क्लाइंट से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि इतनी बड़ी पोजिशन का कारण क्या था।
- उस एंटिटी की ओर से इंडेक्स से जुड़े स्टॉक्स में की गई ट्रेडिंग की जांच की जाएगी।
- जरूरत पड़ने पर SEBI की सर्विलांस मीटिंग में उस केस को रिपोर्ट किया जाएगा।
खासतौर से एक्सपायरी डे पर उल्लंघन करने वालों पर ट्रेडिंग संस्थाओं पर पेनाल्टी या अतिरिक्त सर्विलांस डिपॉजिट लगाया जा सकता है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
हाल के महीनों में यह चिंता बढ़ी थी कि कुछ ट्रेडिंग संस्थाएं बाजार में असामान्य रूप से बड़े सौदे कर रही हैं। खासतौर से एक्सपायरी डे के दिन ये संस्थाएं काफी बड़ी पोजिशन ले लेती हैं, जिससे बाजार में वोलैटिलिटी पैदा होती है। इससे बाजार में अव्यवस्था पैदा होती और कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। सेबी इसी गड़बड़ी को रोकने के लिए ये नए नियम ला रहा है। Jane Street Group से जुड़ी कथित हेराफेरी की घटना के बाद रेगुलेटर और सतर्क हो गया है।
इंट्राडे निगरानी के ये नए नियम 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होंगे, जबकि एक्सपायरी डे के नियमों के उल्लंघन से संबंधित दंड प्रावधान 6 दिसंबर, 2025 से लागू होंगे।
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