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Gensol Crisis: SEBI के अलावा और भी एजेंसियां शुरू कर सकती हैं जांच, आरोप हुए सच तो कॉरपोरेट धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे बन सकते हैं केस

SEBI ने आरोप लगाया कि जेनसोल से हासिल हुए पैसे को संदिग्ध रिलेटेड पार्टी वेलरे में ट्रांसफर किया गया और फिर प्रमोटर परिवार के निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया। कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि SEBI को कंपनी के फाउंडर्स के खिलाफ अचानक और कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए, क्योंकि इससे माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स को नुकसान हो सकता है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Apr 16, 2025 पर 7:33 PM
Gensol Crisis: SEBI के अलावा और भी एजेंसियां शुरू कर सकती हैं जांच, आरोप हुए सच तो कॉरपोरेट धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे बन सकते हैं केस
हो सकता है कि जेनसोल से जुड़ी सभी एंटिटीज, लिस्टेड और अनलिस्टेड, कंपनी से जुड़े लोग भी जांच के दायरे में आए जाएं।

जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI की जांच के सामने आए नतीजों के बाद अब कंपनी के खिलाफ अन्य कई एजेंसियों की जांच शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। सेबी से जुड़े सूत्रों ने मनीकंट्रोल को पुष्टि की है कि जांच तेज होने वाली है। हो सकता है कि अन्य एजेंसियों भी कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दें। यह भी हो सकता है कि जेनसोल से जुड़ी सभी एंटिटीज, लिस्टेड और अनलिस्टेड, कंपनी से जुड़े लोग भी जांच के दायरे में आए जाएं।

15 अप्रैल को जारी अंतरिम आदेश में सेबी ने कहा है कि सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग पर पैसों को डायवर्ट करने, कर्ज का गलत इस्तेमाल करने और संबंधित पक्षों के माध्यम से अपने स्टॉक में ट्रेड को फाइनेंस करने का आरोप लगाया। जेनसोल पर आरोप है कि उसने ईवी खरीद के लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि डायवर्ट की। कंपनी के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने राइड हेलिंग स्टार्टअप ब्लूस्मार्ट के लिए नए इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिए लिए गए लोन को अपने निजी हित के लिए इस्तेमाल किया, जैसे कि गुरुग्राम में लग्जरी अपार्टमेंट की खरीद।

कैसे हेराफेरी करने का आरोप

सेबी की कैलकुलेशन के अनुसार, जेनसोल इंजीनियरिंग को ईवी खरीद के लिए IREDA और PFC से कुल 663.89 करोड़ रुपये का लोन मिला। नियमों के अनुसार, जेनसोल को अपने खुद के फंड से 20% का योगदान करना था, जिससे 6,400 ईवी की खरीद के लिए कुल अपेक्षित निवेश 829.86 करोड़ रुपये हो गया। सेबी के अंतरिम आदेश में कहा गया है कि लेकिन जेनसोल ने 4,704 ईवी खरीदे, जिनकी लागत 567.73 करोड़ रुपये थी। इस तरह 262.13 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं है। रेगुलेटर्स जांच कर सकते हैं कि क्या ईवी की खरीद के लिए जरूरी 20% अतिरिक्त मार्जिन का पालन किया गया था।

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