SEBI ने Zee Entertainment (ZEEL) के मामले में पूर्व निदेशकों सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को दिए अपने निर्देशों में बदलाव किया है। उसने अपने जांच अधिकारियों से इनवेस्टिगेशंस 8 महीनों में पूरा करने को कहा है। उसने इस मामले में शामिल लोगों (Noticee) को ZEEL और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों के बोर्ड में या किसी दूसरे अहम पदों पर काबिज नहीं होने के निर्देश दिए। सेबी ने 12 जून को इस मामले में दिए अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका किसी लिस्टेड कंपनी या उसकी सब्सिडियरी में अगले आदेश तक किसी पद पर काबिज नहीं होंगे।
12 जून के आदेश में कहा गया था कि उन्होंने (चंद्रा और गोयनका) ने दूसरे एसोसिएट एंटिटीज के फायदों के लिए ZEEL और Essel Group की दूसरी लिस्टेड कंपनियों के एसेट्स का दुरुपयोग किया है। इन कंपनियों पर दोनों का नियंत्रण है। फंड का यह दुरुपयोग सोचसमझकर बनाई गई योजना का हिस्सा था, क्योंकि कुछ मामलों में ट्रांजेक्शंस को कई परतों के तहत करने के लिए 13 एंटिटीज का इस्तेमाल किया गया। यह काम सिर्फ दो दिन में हुआ।
बाजार नियामक ने अपने नए आदेश में कहा है कि इस मामले में जांच तय समय के अंदर पूरा हो जाएगा। किसी भी स्थिति में यह आदेश की तारीख से 8 महीने के अंदर पूरा हो जाएगा। सेबी के इस आदेश पर चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के हस्ताक्षर हैं। इसे 14 अगस्त को जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि चंद्रा और गोयनका Zee Entertainment Enterprises, Zee Media Corporation, Zee Studios, Zee Akaash News Pvt Ltd के बोर्ड में किसी अहम जिम्मेदारी के पद पर काबिज नहीं होंगे। उपर्युक्त कंपनियों के विलय और अधिग्रहण से बनने वाली नई कंपनी में भी किसी बड़े पद पर वे काबिज नहीं होंगे।
SEBI के 12 जून को अंतरिम आदेश जारी करने के बाद चंद्रा और गोयनका ने सिक्योरिटीज एपेलेट ट्राइब्यूनल (SAT) का दरवाजा खटखटाया था। सैट ने 10 जुलाई को अपने आदेश में उनकी अपील यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उसे सेबी के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं दिखती है।