Securities Markets Code Bill: शेयर बाजार से जुड़े नियमों में होगा बदलाव? सरकार ने लोकसभा में पेश किया नया बिल

Securities Markets Code Bill 2025: केंद्र सरकार ने गुरुवार 18 दिसंबर को लोकसभा में 'सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025' पेश किया। इस बिल का मकसद देश के सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े कानूनों को एकीकृत और सरल बनाना है। प्रस्तावित बिल के तहत कई मौजूदा अलग-अलग कानूनों को समाप्त कर उन्हें एक सिंगल, प्रिंसिपल-बेस्ड कोड में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया

अपडेटेड Dec 18, 2025 पर 6:52 PM
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सिक्योरिटीज मार्केट में शेयर मार्केट के अलावा, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, और डेरिवेटिव जैसे कई दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स भी आते हैं

Securities Markets Code Bill 2025: केंद्र सरकार ने गुरुवार 18 दिसंबर को लोकसभा में 'सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025' पेश किया। इस बिल का मकसद देश के सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े कानूनों को एकीकृत और सरल बनाना है। बता दें कि सिक्योरिटीज मार्केट में शेयर मार्केट के अलावा, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, और डेरिवेटिव जैसे कई दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स भी आते हैं। प्रस्तावित बिल के तहत कई मौजूदा अलग-अलग कानूनों को समाप्त कर उन्हें एक सिंगल, प्रिंसिपल-बेस्ड कोड में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है।

जिन कानूनों को समाप्त कर उन्हें एक कोड बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, उनमें SEBI एक्ट 1992, डिपॉजिटरीज एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट 1956 शामिल हैं।

यूनिफाइड सिक्योरिटीज लॉ फ्रेमवर्क

प्रस्तावित बिल का मकसद अलग-अलग कानूनों की जगह एक कंसॉलिडेटेड फ्रेमवर्क लाकर कैपिटल मार्केट के लीगल आर्किटेक्चर को आसान बनाना है। सरकार का कहना है कि इस कदम से रेगुलेटरी स्पष्टता बढ़ेगी, कानूनों के बीच ओवरलैप कम होगा और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। इससे सिक्योरिटीज मार्केट को लेकर एक यूनिफाइड फ्रेमवर्क तैयार होगा, जिससे नियमों को समझना और उनका पालन करना आसान हो सकेगा।


SEBI की भूमिका होगी और मजबूत

बिल में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के गवर्नेंस और रेगुलेटरी सिस्टम को मजबूत करने का प्रस्ताव है। इसमें बोर्ड के सदस्यों को फैसले लेते समय अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हितों का खुलासा करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही नियमों और रेगुलेशंस को जारी करने से पहले ज्यादा पारदर्शी और परामर्श आधारित प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान रखा गया है।

तय समय में कार्रवाई और एकल न्यायिक प्रक्रिया

रेगुलेटरी दक्षता बढ़ाने के लिए बिल में सभी क्वासी-ज्यूडिशियल मामलों के लिए एकल एडज्यूडिकेशन प्रोसेस का प्रस्ताव रखा गया है। जांच, अंतरिम आदेश और इनफोर्समेंट से जुड़ी कार्रवाइयों के लिए स्पष्ट समय-सीमा तय करने का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मामलों का निपटारे लंबे समय तक लटका न रहे।

छोटे अपराधों का अपराधीकरण खत्म

बिल का एक अहम प्रस्ताव डिक्रिमिलाइजेशन से जुड़ा है। इसके तहत मामूली प्रक्रियात्मक और तकनीकी उल्लंघनों को आपराधिक अपराध की जगह सिविल पेनल्टी में बदला जाएगा। आपराधिक सजा केवल गंभीर मामलों में ही लागू रहेगी, जैसे- मार्केट मैनिपुलेशन और दुरुपयोग, क्वासी-ज्यूडिशियल आदेशों का पालन न करना, जांच में सहयोग न करना आदि।

निवेशकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र

निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बिल में ओम्बुड्समैन (लोकपाल) व्यवस्था लाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य निवेशकों की शिकायतों के समाधान के लिए एक अलग और संरचित मंच उपलब्ध कराना है, जिससे विवादों का त्वरित और प्रभावी निपटारा हो सके।

इनोवेशन के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स

यह बिल SEBI को फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ में इनोवेशन को आसान बनाने के लिए एक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स बनाने का अधिकार देता है। सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क का मकसद रेगुलेटरी और इन्वेस्टर रिस्क को मैनेज करते हुए कंट्रोल्ड टेस्टिंग की इजाजत देना है।

प्रिंसिपल-बेस्ड और सरल कानून

सरकार के मुताबिक, यह कोड प्रिंसिपल-बेस्ड लेजिस्लेशन पर आधारित होगा, कानून की भाषा को सरल बनाया जाएगा, और पुराने, गैर-जरूरी कॉन्सेप्ट्स को हटाया जाएगा। इससे बाजार के प्रतिभागियों के लिए कानून को समझना और लागू करना आसान हो जाएगा।

आगे की प्रक्रिया

Securities Markets Code Bill, 2025 अब संसद की आगे की प्रक्रिया से गुजरेगा। इसे स्थायी समिति (Standing Committee) के पास भी भेजा जा सकता है। वहां से व्यापक चर्चा और सुझावों के बाद इसे लोकसभा और राज्यसभा में फिर से विचार लिए भेजा जाएगा और पारित किया जाएगा।

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