सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों बुधवार 15 नवंबर को 1 फीसदी से अधिक की उछाल के साथ कारोबार कर रहे थे। बाजार को अमेरिका में मंहगाई के आंकड़े अनुमान से कम रहने से सपोर्ट मिला है। महंगाई दर कम रहने से यह आशा जगी है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व शायद जल्द ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी को पलटना शुरू कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय बाजार अपने मजूबत फंडामेंटल्स और आर्थिक परिस्थितियों के चलते पहले ही मजबूत स्थिति में है। आने वाले दिनों में महंगाई दर में कमी और ब्याज दरों में कटौती असे और तेजी के आधार प्रदान करेंगी।
अमेरिका का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) अक्टूबर में घटकर 3.2 फीसदी पर आ गया, जबकि बाजार ने इसके 3.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। टोरस ओरो PMS के फंड मैनेजर, वैभव शाह ने बताया, "निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती से बाजार में बुलिश सेंटीमेंट मजबूत होगा। बाजार को लग रहा है कि दरें अपने पीक पर हैं और यहां से इनमें कटौती होनी चाहिए। ऐसा होता है तो भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से पूंजी आना शुरू होगा।"
उन्होंने कहा, "इसी तरह लंबी अवधि में भारतीय बाजार अपने मजबूत फंडामेंटल्स और ग्रोथ के अनुकूल माहौल के चलते बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। खासतौर से यह देखते हुए कि कई विकसित देश इस समय अपनी अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ के लिए संघर्ष कर रही हैं।"
दोपहर 2 बजे के करीब, सेंसेक्स करीब 1.05 फीसदी की तेजी के साथ 65,615.35 अंक पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 1.11 फीसदी की तेजी के साथ 19,659.10 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
वैभव शाह ने कहा, अब महंगाई दर के नीचे आने के साथ यह उम्मीदें बढ़ गई हैं कि बाजार अपने पीक पर पहुंच गया है। अगर ऐसा हुआ तो बॉन्ड यील्ड में गिरावट आ सकी है। US CPI के आंकड़े आने के बाद ही वॉल स्ट्रीट में तेजी के साथ कारोबार देखा गया, जबकि यूएस का 10 साल का गवर्नमेंट बॉन्ड यील्ड 4.5 प्रतिशत के स्तर से नीचे चला गया।
अधिकतर एनालिस्ट्स के बीच इस बात पर आम सहमित बनी हुई है कि महंगाई दर का नीचे आना शेयर बाजार के लिए अच्छी खबर है और इससे FII बाजारों की ओर लौटने पर विचार कर सकते हैं।
इस बात पर आम सहमति बनी हुई है कि गिरती मुद्रास्फीति प्रिंट बाजार के लिए सकारात्मक है क्योंकि एफआईआई भारतीय बाजारों पर फिर से विचार कर सकते हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमें स्ट्रैटजिस्ट, वीके विजयकुमार ने कहा कि FII के खरीदार बनने की संभावना है, कहीं ऐसा न हो कि वे रैली से चूक जाएं।
एनालिस्ट्स का कहना है कि FII का निवेश बढ़ने पर कैपिटल गुड्स, ऑटो और बैंकिंग जैसे सेक्टर्स को फायदा हो सकता है। स्टॉकबॉक्स के रिसर्च हेड, मनीष चौधरी ने कहा, कंज्यूमर डिस्क्रिएशनरी, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल से जुड़े शेयरों को मध्यम से लंबी अवधि में लाभ होना चाहिए।
वी के विजयकुमार ने कहा कि FII की बिकवाली से प्रमुख फाइनेंशियल शेयरों में गिरावट आई थी और उनके लौटने पर इनमें उछाल दिखाई दे सकती है। उन्होंने कहा, "FII के लौटने पर फाइनेंशियल, ऑटो, रियल एस्टेट, सीमेंट और डिजिटल कंपनियों में निवेश बढ़ सकता है।"
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