स्टॉक मार्केट्स में 9 अक्टूबर को तेजी टिक नहीं पाई। कारोबार के अंत में मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी लाल निशान में बंद हुए। सत्र के दौरान काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला। मजबूत खुलने के बाद मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक हरे निशान में बने रहे। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी का मार्केट्स पर अच्छा असर पड़ा। आरबीआई ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का रुख नरम किया है। उसने इंटरेस्ट रेट में कमी के भी संकेत दिए हैं। इसका मार्केट्स पर अच्छा असर पड़ा। लेकिन, दोपहर बाद मार्केट्स पर मुनाफावसूली का दबाव दिखा। इससे प्रमुख सूचकांक लाल निशान में आ गए।
स्मॉलकैप इंडेक्स और मिडकैप इंडेक्स चढ़े
कारोबार खत्म होने पर Sensex 0.21 फीसदी यानी 167 प्वाइंट्स गिरकर 81467 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह एक समय 82,317 प्वाइंट्स तक पहुंच गया था। उधर, NSE का Nifty 0.12 फीसदी यानी 31 प्वाइंट्स की कमजोरी के साथ 24,981 पर बंद हुआ। हालांकि, बाजार में चढ़ने वाले शेयरों की संख्या गिरने वाले शेयरों के मुकाबले ज्यादा रही। स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स का प्रदर्शन भी अपेक्षाकृत बेहतर रहा। BSE Midcap Index 1.06 फीसदी तेजी के साथ बंद हुआ। बीएसी स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 1.21 फीसदी की तेजी रही।
दिग्गज स्टॉक्स पर बिकवाली का दबाव
निफ्टी के सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में ITC, Nestle, RIL, ONGC, HUL शामिल रहे। चढ़ने वाले स्टॉक्स में Trent, Cipla, Tata Motors, SBI और मारुति सुजुकी शामलि थे। एफएमसीजी इंडेक्स 1.3 फीसदी गिरा। ऑयल एंड गैस इंडेक्स में 0.6 फीसदी कमजोरी आई। फार्मा, पावर और रियल्टी इंडेक्स में 1-2 फीसदी तक की तेजी दिखी। बीएसई पर 180 स्टॉक्स अपने 52 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गए।
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दोपहर बाद मुनाफावसूली से सूचकांक फिसले
प्रोग्रेसिव शेयर्स के डायरेक्टर आदित्य गग्गर ने कहा कि आज के ट्रेड में 25,200 पर रेसिस्टेंस दिखा। गिरावट की बड़ी वजह कुछ दिग्गज शेयरों में कमजोरी रही। इससे प्रमुख सूचकांक दबाव में आ गए है। उन्होंने अपनी पूरी तेजी गंवा दी। एलकेपी सिक्योरिटीज के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे ने कहा कि निफ्टी मजबूत खुला। लेकिन, तेजी बनाए रखने में इसे संघर्ष का सामना करना पड़ा आखिर में बिकवाली दबाव में यह लाल निशान में आ गया।
क्रूड में नरमी का बाजार के सेंटिमेंट पर अच्छा असर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रूड ऑयल का भाव 81 डॉलर प्रति बैरल तक जाने के बाद नीचे आया है। यह इंडिया के लिए अच्छी खबर है। क्रूड में लगातार तेजी ने चिंता बढ़ा थी। इसकी वजह यह है कि इंडिया क्रूड की अपनी जरूरत के ज्यादातर हिस्से का आयात करता है। इसके महंगा होने से एक तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने का डर था तो दूसरी तरफ इसका असर रिटेल इनफ्लेशन पर पड़ता। काफी समय बाद रिटेल इनफ्लेशन काबू में आया है।
निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह
एक्सपर्ट्स का कहना है कि छह सत्रों की बिकवाली के बाद इंडियन मार्केट में कंसॉलिडेशन दिख रहा है। यह मार्केट के लिए अच्छा है। कुछ सत्रों के कंसॉलिडेशन के बाद बाजार में फिर से तेजी दिख सकती है। इसलिए निवेशकों को अभी सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्हें एकमुश्त बड़ी खरीदारी से बचना चाहिए। चीन के मार्केट में बड़ी गिरावट का असर विदेशी फंडों की इंडियन मार्केट में बिकवाली पर पड़ सकता है। ऐसे में इंडियन मार्केट के लिए आगे किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं दिख रही है।
नतीजों का सीजन 10 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। टीसीएस सबसे पहले अपने नतीजों का ऐलान करेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट्स के लिए कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ बहुत अहम है। अगर दूसरी तिमाही में कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ अच्छी रहती है तो इससे मार्केट के सेंटिमेंट पर अच्छा असर पड़ेगा। साथ ही इससे वैल्यूएशन को भी सपोर्ट मिलेगा।