शेयर बाजार में क्यों मचा हाहाकार? सेंसेक्स धड़ाम, निवेशकों के ₹7.5 लाख करोड़ स्वाहा, जानें 4 बड़े कारण

Share Market Falls: शेयर बाजार में लगातार 5वें दिन गिरावट जारी है। सेंसेक्स और निफ्टी में आज 13 नवंबर को शुरुआती कारोबार के दौरान पिछले कई महीनों की सबसे तेज गिरावट देखने को मिली। दोपहर 3 बजे के करीब, सेंसेक्स करीब 1,018 अंक या 1.29 गिरकर 77,724 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। ब्रॉडर मार्केट में तो हाहाकार की स्थिति रही। शेयर बाजार में इस भारी गिरावट के पीछे 4 मुख्य वजहें क्या रहीं, आइए जानते हैं-

अपडेटेड Nov 13, 2024 पर 5:31 PM
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मैक्वायरी के संदीप भाटिया के मुताबिक, बाजार में अभी और गिरावट देखा जाना बाकी है।

Share Market Falls: शेयर बाजार में आज 13 नवंबर को लगातार 5वें दिन गिरावट जारी रही। सेंसेक्स जहां 984 अंक टूट गया। वहीं निफ्टी फिसलकर 23,600 के भी नीचे पहुंच गया। ब्रॉडर मार्केट में तो और भी बुरा हाल रहा। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 2.5 फीसदी तो स्मॉलकैप इंडेक्स 3 फीसदी तक टूट गया। यहां तक कि सभी सेक्टोल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। इस गिरावट के चलते निवेशकों के आज दिन भर में करीब ₹6.88 लाख करोड़ रुपये डूब गए। सेसेंक्स और निफ्टी अब अपने शिखर से करीब 10 फीसदी नीचे आ चुके हैं।

शेयर बाजार में इस भारी गिरावट के पीछे 4 मुख्य वजहें क्या रहीं, आइए जानते हैं-

1. वापस आया महंगाई का भूत

महंगाई का भूत एक बार फिर से वापस आ गया है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले 14 महीनों का इसका सबसे उच्चतम स्तर है। साथ ही यह RBI के 2-6% के लक्ष्य से भी बाहर है। महंगाई दर में इजाफा के चलते RBI की ओर से अब ब्याज दरों में कटौती में देरी हो सकती है। शेयर बाजार पिछले काफी समय से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर रहा है। हालांकि महंगाई दर के इस आंकड़े के बाद अब इसका इंतजार और बढ़ता दिख रहा है।


2. कमजोर तिमाही नतीजे

शेयर बाजार के लिए कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ एक बड़ी समस्या बनकर आई है। अभी तक अधिकतर कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजे अनुमान से कम रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म JM फाइनेंशियल ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा कि उसके कवरेज वाली 157 कंपनियों के नतीजे अनुमान से कम रहे हैं। वहीं जेफरीज ने कहा कि उसने खराब नतीजों के बाद अपने कवरेज वाली 63 फीसदी कंपनियों के स्टॉक की रेटिंग घटा दी है। यह 2022 के बाद का सबसे बड़ा डाउनग्रेड है।

3. FIIs की ओर से लगातार बिकवाली

विदेशी निवेशकों ने लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रखा है। सिर्फ नवंबर महीने में अबतक वह करीब 25,180.72 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी कर चुके हैं। इससे पहले अक्टूबर महीने के दौरान उन्होंने रिकॉर्ड 1 लाख रुपये से अधिक की निकासी की थी। विदेशी निवेशकों की निकासी के पीछे एक अहम कारण चीन का मार्केट है। चीन की सरकार ने अपनी इकोनॉमी और स्टॉक मार्केट में जान फूंकने के लिए हाल ही में कई बड़े आर्थिक ऐलान किए हैं। इसके अलावा विदेशी निवेशकों भारत के मुकाबले चीन का मार्केट सस्ता भी लग रहा है।

4. ऊंचा वैल्यूएशन

शेयर बाजार में हाल में काफी गिरावट आई है। सेंसेक्स और निफ्टी अपने शिखर से 10 फीसदी से भी अधिक लुढ़क चुके हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिडकैप और लार्जकैप सेगमेंट का वैल्यूएशन अभी भी ऊंचा बना हुआ है। मार्केट एक्सपर्ट्स पिछले काफी समय से इस बढ़े हुए वैल्यूएशन पर चिंता जता रहे हैं। इस बीच इंडिया वोलैटिलिटी इंडेक्स 5 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 15 के स्तर से ऊपर चला गया है।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

जियोजिय फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका की इकोनॉमी लचीली बनी हुई है, लेकिन भारत का नियर-टर्म ग्रोथ आउटलुक चिंताओं से घिरा हुआ है और यूरो जोन भी कमजोरी से जूझ रहा है। इसके अलावा बाजार पर ट्रंप की जीत का असर भी दिख रहा है, जो अस्थिरता को और बढ़ा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत एक उभरता हुआ बाजार है और इसके नजरिए से डॉलर इडेक्स में बढ़ोतरी और अमेरिका के 10-साल की अवधि वाले बॉन्ड यील्ड के बढ़कर 4.42 प्रतिशत पर जाना एक अहम चिंता बनकर उभर रहा है। बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी से भारत जैसे उभरते देशों से निकासी तेज हो सकती है, जो ग्रोथ को प्रभावित कर सकती है।

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