शेयर बाजार में आ सकती है 10% की गिरावट, 2025 के पहले 6 महीने रहेंगे मुश्किल: Macquarie

Share Markets: भारतीय शेयर बाजार नए साल 2025 की पहली छमाही में करीब 10 फीसदी तक गिर सकता है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मैक्वरी कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और इंडिया इक्विटी हेड, संदीप भाटिया ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि इस गिरावट के पीछे घरेलू कारणों से अधिक जिम्मेदार बाहरी कारण हो सकते हैं। यानी 2025 के दौरान शेयर बाजार में बाहरी कारणों के चलते काफी गिरावट आ सकती है

अपडेटेड Dec 23, 2024 पर 3:43 PM
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Share Markets: मैक्वेरी ने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ग्लोबल मार्केट्स में अस्थिरता आ सकती है

Share Markets: भारतीय शेयर बाजार नए साल 2025 की पहली छमाही में करीब 10 फीसदी तक गिर सकता है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मैक्वरी कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और इंडिया इक्विटी हेड, संदीप भाटिया ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि इस गिरावट के पीछे घरेलू कारणों से अधिक जिम्मेदार बाहरी कारण हो सकते हैं। यानी 2025 के दौरान शेयर बाजार में बाहरी कारणों के चलते काफी गिरावट आ सकती है।

भाटिया ने कहा, "मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि घरेलू निवेशकों की ओर से आने वाला पैसा शेयर बाजार को बचाए रख सकता है। लेकिन यह कंपनियों के खराब नतीजों से पैदा हुई निराशा को जरूर कुछ कम कर सकता है। ट्रंप के राष्ट्रपति संभालने के बाद ग्लोबल स्तर पर क्या बदलाव होंगे, भारत को इससे अच्छी तरीके से सामंजस्य बैठाना होगा। 2025 में शेयर बाजार पर असर डालने वाला यह सबसे अहम कारक होगा।"

उन्होंने कहा कि अगर GDP ग्रोथ रेट में फिर से तेजी आती है, तो यह कुछ चुनौतियों को संतुलित करने में मदद कर सकता है।


इस बीच भाटिया और मैक्वेरी के मैनेजिंग डायरेक्टर व इंडिया रिसर्च हेड, आदित्य सुरेश दोनों ने इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) में कंपनी के प्रमोटर और प्राइवेट इक्विटी निवेशकों की ओर से भारी मात्रा में हिस्सेदाररी बेचे जाने के ट्रेंड पर चिंता जताई। भाटिया ने कहा, "बुल मार्केट की शुरुआत में निवेशकों के पास कैश होता है और प्रमोटरों के पास विजन होता है। वहीं बुल मार्केट के अंत में प्रमोटरों के पास कैश होता है और निवेशकों के पास विजन रह जाता है।"

भाटिया ने कहा कि भारतीय इकोनॉमी के लिए सबसे अहम सेक्टर हमेशा से कंजम्प्शन रहा है, लेकिन यह इस समय कमजोर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर के लिए शायद सबसे बुरा वक्त बीत चुका है, लेकिन इसकी रिकवरी धीमी रह सकती है। कंजम्प्शन सेक्टर के भीतर भी रिकवरी में असमानता है। उन्होंने कहा, "प्रीमियम सेगमेंट में कंजम्प्शन थोड़ा बेहतर दिख रहा है। हालांकि मिडिल कैटेगरी में चुनौतियां अभी भी बनी हुई है। जबकि रूरल मार्केट्स में रिकवरी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं।"

हालांकि हालिया गिरावट के बाद मैक्वरी कुछ डिफेंसिव माने जाने वाले सेक्टर्स को लेकर पॉजिटिव है। सुरेश ने कहा, "हमारा नजरिया इस समय डिफेंसिव का है। डिफेंसिव के अंदर भी हम आईटी, फार्मा और फाइनेंशियल्स को लेकर पॉजिटिव हैं।"

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First Published: Dec 23, 2024 3:43 PM

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