जून तिमाही के नतीजों का सीजन अब खत्म होने जा रहा है। बीएसई 500 कंपनियों (ओएमसी को छोड़कर) की टैक्स के बाद मुनाफे की ग्रोथ लगातार पांचवीं तिमाही 10 फीसदी से कम रही है। हेल्पफुल बेस के बाद भी आंकड़ों में ज्यादा बदलाव नहीं दिखा है। चिंता की बात यह है कि ज्यादातर कंपनियों के मार्जिन की गुंजाइश घट रही है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एनालिस्ट्स का कहना है कि बढ़ने की जगह मार्जिन पर दबाव दिख सकता है। कंपनियां पहले से ही अपनी उच्चतम क्षमता पर काम कर रही हैं। ऐसे में प्रॉफिट में अच्छी ग्रोथ तभी आएगी जब रेवेन्यू ग्रोथ अच्छी रहेगी।
कंजम्प्शन ग्रोथ (Consumption Growth) ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं दिखती। प्राइवेट सेक्टर में सैलरी ग्रोथ साल दर साल आधार पर 8 फीसदी से कम रही है। अगर कोविड के साल को छोड़ दिया जाए तो यह 10 साल में सबसे कम है। सैलरी कम बढ़ने का असर परिवारों की इनकम पर पड़ रहा है। ऐसे में आने वाली तिमाहियों में कंपनियों की अर्निंग्स पर दबाव दिख सकता है। इधर, शेयरों की वैल्यूएशन पहले से ज्यादा चल रही है। यह बाजार ऐसा है, जिसमें कीमतें फंडामेंटल्स के मुकाबले ऊपर चल रही हैं। नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के निवेश से मार्केट को मदद मिल रही है। लेकिन, सवाल है कि यह मदद कब तक मिलेगी?
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जोमैटो के शेयरों में 19 अगस्त को 1 फीसदी गिरावट आई। यूपीएस सिक्योरिटीज दूसरी ब्रोकरेज फर्म है, जिसने इसके लिए 300 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। शुरुआत में शेयरों में तेजी दिखी। लेकिन, मुनाफावसूली की वजह से Zomato के शेयर दबाव में आ गए। कारोबार खत्म होने पर ये लाल निशान में बंद हुए। बुल्स का कहना है कि दक्षिणी शहरों में जोमैटो की बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही है। अब तक इन शहरों में स्विगी की मजबूत स्थिति रही है। जोमैटो की वैल्यूएशन दूसरी कंज्यूमर/रिटेल कंपनियों से कम है। इसके अलावा ब्लिंकिट अच्छी ग्रोथ के रास्त पर है। उधर बेयर्स का कहना है कि क्विक कॉमर्स स्पेस में प्रतियोगिता बढ़ रही है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि जोमैटो को लंबे समय तक अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखनी होगी।