विदेशी ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन नए साल 2025 में भारतीय शेयरों पर बुलिश होती हुई दिख रही है। उसने निवेशकों को सुझाव दिया है कि वे "चयनात्मक रूप से भारतीय स्टॉक्स को खरीदना शुरू करें।" इससे पहले 2024 के दौरान उसने अर्निंग्स से जुड़े जोखिमों को देखते हुए भारतीय शेयरों में सतर्क रहने की सलाह दी थी। बर्नस्टीन ने गुरुवार 2 जनवरी को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा तिमाही शेयर बाजारों के लिए काफी अहम है क्योंकि अब फोकस चुनावों से हटकर ग्रोथ की ओर वापस ट्रांसफर हो रहा है।
ब्रोकरेज ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 में अर्निंग्स के अनुमानों से कम रहने का जोखिम अभी भी बना हुआ है, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में जिस तरह से अर्निंग्स अनुमानों को चूकते हुए देखा गया, उसके बाद "मूड खराब करने वाला दौर" अब काफी हद तक समाप्त हो चुका है।
2025 के लिए 12% रिटर्न का अनुमान
इससे पहले निफ्टी ने 2024 का समापन 8.75 फीसदी रिटर्न के साथ किया। यह लगातार नौवां साल है, जब निफ्टी ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है।
बर्नस्टीन का मानना है कि निफ्टी में अगर गिरावट आती भी है तो यह सीमित रहेगी। उसने कहा कि अगर EPS अनुमानों को 5% तक घटा दिया और मल्टीपल्स को दशक के न्यूनतम स्तर तक ले जाए, फिर भी इसका न्यूनतम टारगेट 22,000 होगा, जिसे 'बियर केस' आउटलुक माना जा सकता है।
ब्रोकरेज ने कहा कि शेयर बाजार में मौजूदा "मंदी का दौर" को अचानक से नहीं आया है। यह बुलबुला लंबे समय से बन रहा था, जिसपर अब जाकर बाजार ने चिंता दिखानी शुरू की है। उम्मीद से कम अर्निंग्स, कमजोर जीडीपी आंकड़े और फेडरल रिजर्व की टिप्पणियों के चलते दिसंबर तिमाही में बाजार में गिरावट रही।
बर्नस्टीन ने कहा, "2024 में लगभग पूरे साल सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स), इकोनॉमी से दूर रहा। हालांकि अब 2025 में यह वापस आ सकता है। यहां तक कि बजट का इस्तेमाल भी ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।"
ट्रंप का कार्यकाल और दूसरी अनिश्चितताएं
बर्नस्टीन का मानना है कि डोनाल्ड ट्रम्प की प्रेसीडेंसी को अनिश्चितता के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह आईटी कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। ब्रोकरेज ने कहा, "...अगर भू-राजनीतिक स्थितियां निवेश रोकने का कारण हैं, तो यह अनिश्चितता कई सालों से बनी हुई है और जल्द खत्म होने वाली नहीं है। ऐसे में हम पूछते हैं, अगर निवेश शुरू करने का समय है, तो अभी क्यों नहीं?"
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