SBI पर आरबीआई के ईसीएल नियमों का सीमित असर पड़ेगा, जानिए चेयरमैन सीएस शेट्टी ने इस बारे में क्या कहा

एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि बैंक को उम्मीद है कि प्रोविजनिंग के नए नियमों का सीमित असर पड़ेगा। इसकी वजह रेगुलेटर की तरफ से इसे लागू करने के लिए दिया गया अतिरिक्त समय है। केंद्रीय बैंक ने नई व्यवस्था को बैंकों को अपनाने के लिए 31 मार्च, 2031 तक का समय दिया है

अपडेटेड Nov 04, 2025 पर 11:09 PM
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आरबीआई ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर रिलीज किया है। इसमें क्रेडिट प्रोविजनिंग के लिए इनकर्ड-लॉस-बेस्ड मॉडल की जगह एक्सपेक्टेड-लॉस-बेस्ड सिस्टम के इस्तेमाल का प्रस्ताव है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा है कि बैंक को भरोसा है कि आरबीआई की तरफ से प्रस्तावित एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ईसीएल) फ्रेमवर्क को अपनाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि अभी यह बताना मुश्किल है कि इसका बैलेंसशीट पर कितना असर पड़ेगा। उन्होंने एसबीआई के सितंबर तिमाही के नतीजों के ऐलान के दौरान यह बात कही।

दो वजहों से एसबीआई पर ईसीएल नियमों का सीमित असर होगा

SBI के चेयरमैन ने कहा कि बैंक को उम्मीद है कि प्रोविजनिंग के नए नियमों का सीमित असर पड़ेगा। इसकी वजह रेगुलेटर की तरफ से इसे लागू करने के लिए दिया गया अतिरिक्त समय है। उन्होंने कहा, "ECL के मोर्चे पर हमें थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है। हमने पहले यह बताया है कि हमारी बैलेंसशीट पर इसका असर दो वजहों से सीमित रहेगा। इसमें पहला यह कि हमें इसके लिए लंबा रोडमैप मिला है।"


आरबीआई ने ईसीएल नियमों का ड्राफ्ट सर्कुलर रिलीज किया है

आरबीआई ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर रिलीज किया है। इसमें क्रेडिट प्रोविजनिंग के लिए इनकर्ड-लॉस-बेस्ड मॉडल की जगह एक्सपेक्टेड-लॉस-बेस्ड सिस्टम के इस्तेमाल का प्रस्ताव है। इस एप्रोच के तहत बैंकों को फाइनेंशियल एसेट्स को क्रेडिट रिस्क के आधार पर तीन चरणों में बांटना होगा। पहले चरण में 12 महीनों का एक्सपेक्टेड लॉस प्रोविजन होगा। दूसरे और तीसरे चरणों में यह पता चलेगा कि लोन के रीपेमेंट की स्थिति कितनी खराब हो चुकी है। इसके आधार पर लाइफ टाइम प्रोविजनिंग करनी होगी।

बैंकों को नए नियम अपनाने के लिए 31 मार्च, 2031 का समय मिला है

केंद्रीय बैंक ने नई व्यवस्था को बैंकों को अपनाने के लिए 31 मार्च, 2031 तक का समय दिया है। इससे बैंकों को प्रोविजनिंग की नई व्यवस्था को अपनाने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। शेट्टी ने कहा कि एसबीआई इस ट्रांजिशन विंडो का पूरा इस्तेमाल करेगा। बैंक यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा कि प्रोविजनिंग के पड़ने वाले असर को बैंक धीरे-धीरे एडजस्ट करने में कामयाब हो जाए।

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एसबीआई को नए नियमों के फाइनल  गाइडलाइंस का इंतजार

उन्होंने कहा, "इससे पड़ने वाले असर को ठीक तरह से समझने के लिए हम फाइनल गाइडलाइंस जारी होने का इंतजार करेंगे। असर चाहे जो हो, हम यह ध्यान रखेंगे कि चार साल का वक्त जो हमें मिला है, उससे हमारी बैलेंसशीट पर अचानक बड़ा बोझ नहीं पड़े।" एसबीआई पहले से ही अपने कलेक्शन सिस्टम को मजबूत बना रहा है। खासकर रिटेल लोन के मामले में उसने फोकस बढ़ाया है।

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