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आखिरकार परिवारों ने सेविंग्स का पैसा शेयरों में लगाना शुरू किया, जानिए इसके फायदे

2014 के बाद से म्यूचुअल फंड इनवेस्टर अकाउंट्स की संख्या छह गुनी हो गई है। मार्च 2025 में यह 23.5 करोड़ पहुंच गई। इसमें से करीब 92 फीसदी अकाउंट्स रिटेल इनवेस्टर्स के हैं। करीब दो-तिहाई अकाउंट्स इक्विटी स्कीम से जुड़े हैं

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Sep 03, 2025 पर 2:20 PM
आखिरकार परिवारों ने सेविंग्स का पैसा शेयरों में लगाना शुरू किया, जानिए इसके फायदे
जून 2025 में सिप अकाउंट्स की संख्या 9.2 करोड़ तक पहुंच गई थी। इसका मतलब यह है कि शेयरों में निवेश अब मुट्ठी भर लोगों तक सीमित नहीं रह गया है।

पहले भारत में परिवार गोल्ड और प्रॉपर्टी खरीदने और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे रखना पसंद करते थे। इसलिए उन्हें निवेश के मामले में कंजरवेटिव माना जाता था। शेयरों में निवेश करने वाले को साहसिक माना जाता था। लेकिन, यह धारणा तेजी से बदल रही है। आरबीआई की एक नई बुलेटिन में इस बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि अब परिवार म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयरों में जमकर इनवेस्ट कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। यह बदलाव स्वागतयोग्य है।

इनवेस्टर अकाउंट की संख्या 11 साल में छह गुनी

2014 के बाद से Mutual Fund Investor Accounts की संख्या छह गुनी हो गई है। मार्च 2025 में यहर 23.5 करोड़ पहुंच गई। इसमें से करीब 92 फीसदी अकाउंट्स रिटेल इनवेस्टर्स के हैं। करीब दो-तिहाई अकाउंट्स इक्विटी स्कीम से जुड़े हैं। इसका असर इक्विटी म्यूचुअल फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) पर दिखा है। 2010 में यह 2.1 लाख करोड़ रुपये था। मार्च 2025 में बढ़कर यह 34.5 लाख करोड़ रुपये हो गया।

SIP बना परिवारों की आदत

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