ट्रेडिंग में इन तीन फिल्टर का करें इस्तेमाल, आपके प्रॉफिट कमाने की संभावना काफी बढ़ जाएगी

प्राइस, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट ऐसे अहम इंडिकेटर्स हैं, जो ट्रेडर्स को प्रॉफिट कमाने में मदद कर सकते हैं। आपको इन तीन फिल्टर्स का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। सबकी अलग-अलग अहमियत हैं। दूसरे सभी इंडिकेटर्स इन्हीं तीनों से निकलते हैं

अपडेटेड Sep 24, 2024 पर 1:58 PM
Story continues below Advertisement
फाइनेंशियल मार्केट्स में प्राइस को भगवान जैसा दर्जा हासिल है। यह हर ट्रेडर के लिए सबसे अहम होता है।

ट्रेडर्स की कोशिश मार्केट्स में ट्रेडिंग से बड़ा मुनाफा कमाने की होती है। लेकिन, वे अक्सर सबसे आसान उस चीज को अनदेखी कर देते हैं, जो उनकी पहुंच में होती है। 19वीं शताब्दी के आखिर में जेस लिवरमोर के अमेरिकी मार्केट में ट्रेडिंग करने के बाद से प्राइस, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट को सबसे अहम इंडिकेटर्स माना जाता है, जो ट्रेडर्स को प्रॉफिट कमाने में मदद कर सकता है।

यहां इसके लिए कुछ आसान टिप्स उपलब्ध है, जो यह बताती हैं कि यह किस तरह होता है।

प्राइस: फाइनेंशियल मार्केट्स में प्राइस (Price) को भगवान जैसा दर्जा हासिल है। यह हर ट्रेडर के लिए सबसे अहम होता है। ओसिलेटर्स, स्टडी और इंडिकेटर्स जैसी चीजें इसी प्राइस के डेरिवेटिव हैं। 'न्यू एज' ओसिलेटर्स पर बहुत ज्यादा निर्भर रहने वाले ट्रेडर्स यह भूल जाते हैं कि ये प्राइस से ही निकलते हैं और अक्सर कुछ सेशन के एवरेज प्राइस पर आधारित होते हैं। इस वजह से ये ओसिलेटर्स प्राइस ट्रेंड के सुस्त इंडिकेटर्स हैं। अगर आप बर्गर के लिए मैकडोनाल्ड्स जाते हैं तो क्या आप ब्रेड और पैटी खाते हैं या सिर्फ केचप? ओसिलेटर्स फ्लेवर के लिए केचप की तरह हैं। असल चीज प्राइस है।


किसी अपट्रेंड और डाउनट्रेंड में मुझे अभी सिंपल हायर टॉप्स और बॉटम्स फॉर्मेशन का बेहतर रिप्लेसमेंट तलाशना है। टॉप्स और बॉटम्स को जोड़ने वाली सीधी ट्रेंडलाइन खींचे और आप जान जाएंगे कि प्राइस किधर जा रहा है।

वॉल्यूम: यह सीक्रेट सॉस है। प्लेन वनिला वॉल्यूम से मदद मिलती है लेकिन इसमें कुछ बदलाव कर दीजिए तो कहानी मजेदार हो जाती है। किसी स्टॉक में टोटल ट्रेडेड वॉल्यूम को उस काउंटर में इनिशिएटेड कुल ट्रेड की संख्या से डिवाइड करें। इससे आपको प्रत्येक ट्रेड का टिकस साइज (TST) मिल जाएगा। कोई एवरेज रिटेल ट्रेडर हर ट्रांजेक्शन में कितना ट्रेड करता है? यह डेरिवेटिव्स (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस-F&O) में 2-5 लॉट से ज्यादा नहीं होता और डिलीवरी सेगमेंट में हर ट्रांजेक्शन 8,000-10,000 शेयर से ज्यादा नहीं होता।

अगर आप देखते हैं कि एफएंडओ (Future and Options) में टीएसटी उछल कर 25 लॉट या इससे ज्यादा हो जाता है या कैश सेगमेंट में प्रति ट्रांजेक्शन 50,000 शेयर पहुंच जाता है तो क्या होगा? बिग बॉयज या इंस्टीट्यूशनल प्लेयर्स यहां है और वे आक्रामक रूप से खरीद या बेच रहे हैं। ये इंस्टीट्यूशनल प्लेयर्स गलत के मुकाबले ज्यादा सही होते हैं और उनके पीछे चलने में मुनाफा होता है।

आपके मन में सवाल हो सकते हैं जैसे-अगर इंस्टीट्यूशंस एक बार में 50,000 शेयरों की जगह 10 बार में 5,000 शेयरों का ट्रेड करेंगे तो क्या होगा? जहां तक टीएसटी की बात है तो इससे वे अपने ट्रेड को छुपा (mask) सकते हैं लेकिन उस दिन होने वाला कुल ट्रेड सामान्य के मुकाबले काफी ज्यादा होगा। इसका मतलब है कि इंस्टीट्यूनल प्लेटर्स चालाकी से एक्युमुलेट कर रहे हैं आगे प्राइस में बड़ा मूव आएगा।

ओपन इंटरेस्ट: यह ट्रांजेक्शन की संख्या है, जिसे ट्रेडर्स ने इनिशिएट किया है, लेकिन उन्हें अब तक क्लोज नहीं किया है। इसलिए ये ट्रेड्स अभी ओपन हैं। 'ओपन इंटरेस्ट' नाम से ही इसका पता चल जाता है।

एफएंडओ सेगमेंट में ओपन इंटरेस्ट को मार्केट वाइड पॉजिशन लिमिट्स (MWPL) के रूप में मापा जाता है। सेबी ट्रेडर्स को किसी काउंटर में पहले से तय मैक्सिम एक्सपोजर लेने की इजाजत देता है। MWPL फीसदी में यह बताता है कि उस लिमिट का कितना इस्तेमाल हुआ है। MWPL जितना ज्यादा होगा, स्टॉक में ग्रीड और फियर उतना ज्यादा होगा। ट्रेडर्स उस काउंटर से न सिर्फ फाइनेंशियली जुड़े होते हैं बल्कि भावनात्मक रूप से भी जुड़े होते हैं। यही क्राउड की एंट्री और एग्जिट होता है। मान लीजिए सिनेमा हॉल में आग लग जाती है तो लोग एग्जिट दरवाजे की तरफ भागेंगे जिससे भगदड़ मच जाएगी।

60 फीसदी से ज्यादा MWPL वाले स्टॉक में अतिरिक्त मार्जिन (सिक्योरिटी डिपॉजिट) लागू होता है। इनमें उतारचढ़ाव ज्यादा होता है। अगर आप एक हाई रिस्क ट्रेडर हैं तो आप हाई MWPL काउंटर्स में पॉजिशन ले सकते हैं। अगर आप रिस्क नहीं लेना चाहते तो इससे दूर रहना ठीक रहेगा।

यह भी पढ़ें: JP Morgan के जेम्स सुलिवन ने इंडिया में 100 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद जताई, कहा-घरेलू निवेश की बदौलत चढ़ा है मार्केट

बुल मार्केट जारी रहने की स्थिति में प्राइस ट्रेंड हायर होना होना चाहिए। ट्रेडेड वॉल्यूम हायर रहना चाहिए और इसलिए टीएसटी। तेजी के ब्रॉड-बेस्ड होने के लिए ट्रेडर्स की तरफ से 40-50 फीसदी से ज्यादा MWPL का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आप ट्रेड्स के लिए इन फिल्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे कामयाबी की संभावना काफी बढ़ जाएगी।

विजय एल भंबवानी

(लेखक एक सिस्टम आधारित प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म के फाउंडर और सीईओ हैं। यहां वक्त विचार उनके निजी विचार हैं। इनका इस प्रकाशन से कोई संबंध नहीं है।)

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Sep 24, 2024 1:51 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।