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Tata Group News: Tata Sons नहीं होगी लिस्ट, RBI ने इस कारण दे दी राहत

Tata Group News: टाटा सन्स को सितंबर 2025 तक हर हाल में लिस्ट होना था लेकिन टाटा सन्स के लिए अब इसकी अनिवार्यता खत्म हो गई है। जानिए टाटा ग्रुप की पैरेंट कंपनी और मुख्य इनवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स के लिए यह बाध्यता क्यों बनी थी और यह कैसे खत्म हुआ? केंद्रीय बैंक आरबीआई से इसकी मंजूरी कैसे मिली?

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Aug 02, 2024 पर 1:46 PM
Tata Group News: Tata Sons नहीं होगी लिस्ट, RBI ने इस कारण दे दी राहत
आरबीआई ने टाटा सन्स को वर्ष 2022 में एनबीएफसी-अपर लेयर में रखा था। इसका मतलब है कि टाटा सन्स को सितंबर 2025 तक लिस्ट होना था लेकिन अब इसके रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को आरबीआई की मंजूरी मिल गई यानी कि अब इसे लिस्ट होने की अनिवार्यता खत्म हो गई है।

Tata Group News: टाटा ग्रुप की पैरेंट कंपनी और मुख्य इनवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स (Tata Sons) के रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को केंद्रीय बैंक RBI की मंजूरी मिल चुकी है। एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ने जिस रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को मंजूरी दी है, उसमें समूह की होल्डिंग कंपनी को स्टॉक एक्सचेंजों पर अनिवार्य रूप से लिस्ट करने के नियम से छूट की मांग की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पहले ही कर्ज चुकाने समेत रीस्ट्रक्चरिंग प्लान के कुछ हिस्सों को लागू कर चुकी है। हालांकि मनीकंट्रोल इस रिपोर्ट के सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता है।

Tata Sons के रीस्ट्रक्चरिंग का क्या है मतलब?

टाटा सन्स के रीस्ट्रक्चरिंग का मतलब है कि कुछ नियामकीय शर्तों के साथ अपर लेयर में इसे नॉन-बैंक फाइनेंस कंपनी (NBFC) की कैटेगरी में नहीं रखा जाएगा। ऐसे में टाटा सन्स को स्टॉक एक्सेंज पर खुद को लिस्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपर लेयर में ऐसी एनबीएफसी को रखा जाता है जो सिस्टम के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इनका वित्तीय प्रणाली के साथ महत्वपूर्ण संबंध होता है। अक्टूबर 2021 के अपने सर्कुलर में आरबीआई ने कहा था कि जो कंपनियां एनबीएफसी-अपर लेयर में आती हैं, उन्हें तीन साल के भीतर स्टॉक मार्केट में लिस्ट होना होगा।

टाटा सन्स कब आई इस लिस्ट में?

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