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लंबी अवधि में नतीजों के हिसाब से चलेगा बाजार, ज्यादा समय तक नहीं रहेगा ट्र्ंप इफेक्ट

लंबी अवधि में बाजार नतीजों के हिसाब से चलेगा। पॉलिटिक्स चाहे घरेलू हो या ग्लोबल, एक समय के बाद इसका असर कम हो जाता है। भारतीय बाजारों की समस्या डॉलर या FII बिकवाली नहीं है। भारतीय बाजारों की समस्या है स्लोडाउन या खराब नतीजे हैं। अगर नतीजे मजबूत होंगे तो FIIs झक मारकर वापस आएंगे

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 21, 2025 पर 11:30 AM
लंबी अवधि में नतीजों के हिसाब से चलेगा बाजार, ज्यादा समय तक नहीं रहेगा ट्र्ंप इफेक्ट
निफ्टी और निफ्टी बैंक दोनों बहुत अहम जोन में हैं। निफ्टी कल 10 DEMA के बेहद करीब बंद हुआ। निफ्टी का कल का हाई और पिछले हफ्ते का हाई एक है जो 23,391 पर स्थित है

सीएनबीसी-आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल का कहना है कि बाजार अब एक बहुत दिलचस्प मोड़ पर है। कल का FII डाटा काफी आकर्षक है। कल FIIs ने लॉन्ग और शॉर्ट दोनों जोड़े हैं। इन्होंने निफ्टी में 1000 करोड़ रुपए की बिकवाली और निफ्टी बैंक में 650 करोड़ रुपए की खरीदारी की। इसका मतलब कल निफ्टी शॉर्ट किया गया और निफ्टी बैंक खरीदा गया। निफ्टी और निफ्टी बैंक दोनों बहुत अहम जोन में हैं। निफ्टी कल 10 DEMA के बेहद करीब बंद हुआ।

निफ्टी का कल का हाई और पिछले हफ्ते का हाई एक है जो 23,391 पर स्थित है। अगर 23,400 पार हुआ तो 20 DEMA यानि 23,600 तक की जगह खुलेगी। बैंक निफ्टी भी कल 10 DEMA पर बंद हुआ। अब यहां से बड़ा रजिस्टेंस है 50,000 का 20 DEMA है। किसी भी बड़े ट्रेंड में काउंटर ट्रेंड का टेस्ट 20 DEMA पर होता है। अगर निफ्टी और निफ्टी बैंक 20 DEMA से पहले फिसले तो बड़ा निगेटिव होगा। लेकिन अगर 20 DEMA पर रुके तो शॉर्ट कवरिंग भी बढ़ सकती है। अभी के लिए इस रैली को नया अपट्रेंड नहीं मानेंगे।

ट्रंप की ताजपोशी

कल रात को एक समय गिफ्ट निफ्टी 240 अंक ऊपर था। ट्रंप की पहली स्टेटमेंट से डॉलर में बड़ी गिरावट हुई। डॉलर के गिरने से पहले एक बार के लिए स्टॉक फ्यूचर्स भागे। लेकिन उसके बाद की स्टेटमेंट से फिर गिफ्ट निफ्टी भी नीचे आया। अगर कल आप पोजीशन लेकर गए हैं तो सिर्फ आपका BP बढ़ेगा। गिफ्ट निफ्टी पहले 200 अंक ऊपर था और अब फ्लैट है। अगले कुछ महीने ये नॉर्मल रहने वाला है। गैपअप और गैपडाउन होते रहेंगे। एक बात का ध्यान रखिए, लंबी अवधि में बाजार नतीजों के हिसाब से चलेगा। पॉलिटिक्स चाहे घरेलू हो या ग्लोबल, एक समय के बाद इसका असर कम हो जाता है। भारतीय बाजारों की समस्या डॉलर या FII बिकवाली नहीं है। भारतीय बाजारों की समस्या है स्लोडाउन या खराब नतीजे हैं। अगर नतीजे मजबूत होंगे तो FIIs झक मारकर वापस आएंगे।

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