अमेरिका में मंदी आने का डर नहीं है, चीन की तुलना में भारत का बाजार ज्यादा अच्छा : स्टीफन होफर
300 अरब डॉलर एयूएम वाले एलजीटी बैंक एशिया का मानना है कि भारत अगले 5 से 10 सालों में कई स्तरों पर जोरदार ग्रोथ करता दिख सकता है। एलजीटी बैंक के स्टीफन होफर ने कहा कि ऑलटाइम हाई पर पहुंचने के बाद भारतीय बाजारों में हालिया गिरावट का कारण मुनाफावसूली है। भारत के लिए मध्यम अवधि की स्टोरी पॉजिटिव बनी हुई है
होफर का मानना है कि भारत का आईटी सेक्टर अपने निचले स्तर के करीब है। अब यहां से इसमें तेजी शुरू हो सकती है। इसके अलावा स्टीफन होफर को निवेश के नजरिए से हेल्थकेयर सेक्टर में भी तेजी की संभावना दिख रही है
देश में इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार हो रहे सुधार और जीडीपी में बढ़त की संभावना साथ भारत के लिए मीडियम टर्म इन्वेस्टमेंट आउटलुक अच्छा बना हुआ है। अमेरिका के अगले साल मंदी में फंसने की संभावना नहीं है। हो सकता है कि ग्रोथ दर थोड़ी धीमी पड़ जाए लेकिन मंदी की स्थिति बनने की संभावना नहीं है। ये बातें एलजीटी बैंक एशिया के एमडी और चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट स्टीफन होफर ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में कही हैं। इस बातचीत में स्टीफन होफर ने ग्लोबल मार्केट की स्थिति और वर्तमान व्यवस्था में भारत की स्थिति के बारे में अपनी राय साझा की है। यहां हम आपके लिए इसी बातचीत का संपादित अंश दे रहे हैं।
भारत में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की क्षमता
भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर अपने विचार साझा करते हुए होफर ने कहा कि सही इंफ्रास्ट्रक्चर और स्केल के साथ भारत ग्लोबल मार्केट में मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में अपनी पहचान बना सकता है और ग्लोबल मार्केट में एक बड़ा हिस्सा हासिल कर सकता है। दुनिया भरके निवेशक इस समय नए कारखाने लगाने के लिए चीन के विकल्प कि तलाश में। इसका फायदा भारत को मिल सकता है।
आईटी सेक्टर और हेल्थकेयर सेक्टर तेजी के लिए तैयार
होफर का मानना है कि भारत का आईटी सेक्टर अपने निचले स्तर के करीब है। अब यहां से इसमें तेजी शुरू हो सकती है। इसके अलावा स्टीफन होफर को निवेश के नजरिए से हेल्थकेयर सेक्टर में भी तेजी की संभावना दिख रही है। यह सेक्टर एक डिफेंसिव सेक्टर है, इसके आलवा इसमें वर्तमान स्तरों से अच्छी ग्रोथ आने की उम्मीद है। ऐसे में एलजीटी बैंक एशिया इस सेक्टर पर ओवरवेट है।
अमेरिकी में दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की और बढ़त के बाद विराम की उम्मीद
इस बातचीत में उन्होंने आगे बताया कि एलजीटी का मानना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अवस्फीति (disinflation)के रास्ते पर है। उम्मीद है कि यूएस फेड का 2 फीसदी महंगाई लक्ष्य छह से नौ महीने के भीतर हासिल हो जाएगा। स्टीफन होफर का मानना है कि यूएस फेडरल रिजर्व को अगली बैठक में ब्याज दरों में केवल 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी करने की जरूत होगी। फिर इसे स्थिर रखना पड़ सकता है।
अमेरिका 2024 में मंदी की संभावना नहीं
स्टीफन होफर की राय है कि अमेरिका 2024 में मंदी में नहीं पड़ेगा। हालांकि विकास दर में कमी आ सकती है। लेकिन सुस्ती के बावजूज ग्रोथ रेट पॉजिटिव दायरे में ही रहेगी। फ़ेडरल रिज़र्व ने मंदी को दूर रखते हुए ब्याज दरों में तेज बढ़त को जिस तरह से मैनेज किया है वह अपने में ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व है। हाल ही में बाज़ार में आई बिकवाली के बावजूद, कम बेरोज़गारी और बड़ी संख्या में नौकरियों के अवसर इंडीकेटर यह संकेत दे रहे हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
इसके अलावा, भले ही जर्मनी और इटली जैसे देश तकनीकी रूप से मंदी में हैं लेकिन उनकी बेरोजगारी दर कम है और खपत स्थिर बनी हुई है। यह एक सिर्फ आंकड़ों में दिख रही मंदी है। उत्पादन में भारी गिरावट नहीं आई है। भले ही लगातार दो तिमाहियों से ग्रोथ रेट निगेटिव रही हो इसके बावजूद ग्लोबल वित्तीय संकट जैसी कोई बात नजर आने की संभावना नहीं है।
अगले 5 से 10 सालों के नजरिए से भारत में ग्रोथ की व्यापक संभावना
भारतीय बाजार और इकोनॉमी पर बात करते हुए स्टीफन होफर ने कहा कि भारत इस समय कई अच्छे कारणों से सुर्खियों में हैं। पिछले कुछ सालों में बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार हुए हैं। दूसरे बड़े उभरती बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में ज्यादा ग्रोथ की संभावना दिख रही है। ऐसे में विदेशी निवेशकों का रुख भारत को लेकर पॉजिटिव है। अगले 5 से 10 सालों के नजरिए से भारत में ग्रोथ की व्यापक संभावना है।
आपके सबसे पसंदीदा बाज़ार कौन से हैं?
इस पर स्टीफन होफर ने कहा कि उन्होंने अभी भी अमेरिकी और जापानी इक्विटी मार्केट सबसे ज्यादा पसंद हैं। अमेरिकी इक्विटी बाजार में अर्निंग आउटलुक पॉजिटिव है। यह एक लो बीटा और कम वोलैटिलिटी वाला बाजार है। यही वजह है कि निवेशक अमेरिकी इक्विटी बाजार को पसंद करते हैं।
उभरते बाजारों में भारत जीडीपी ग्रोथ रेट में सुधार की संभावना के साथ मध्यम अवधि के नजरिए से अच्छा लग रहा है। जबकि चीन मंदी का सामना कर रहा है। अगर आप ग्रोथ इन्वेस्टर हैं, तो आप अभी चीन की तुलना में भारत में ज्यादा पैसा लगाएंगे।
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