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Market Outlook: बाजार को नहीं पसंद uncertainty, जारी रहेगी वौलेटिलिटी, डॉमेस्टिक फोकस्ड कंपनियों पर दें ध्यान

अभिषेक अग्रवाल ने आगे कहा कि ग्लोबल लेवल पर भारत का एक्सपोजर इतना बड़ा नहीं है कि जहां पर हम कोई ऐसा एक्सपोर्ट करते है जिसे लेकर हमें चिंता करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जब इस तरह की उथल-पुथल होती है तो बाजार अनिश्चितता (uncertainty) के माहौल में जाता है और निवेशकों को बाजार में अनिश्चितता पसंद नहीं है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 14, 2025 पर 10:43 AM
Market Outlook: बाजार को नहीं पसंद uncertainty, जारी रहेगी वौलेटिलिटी, डॉमेस्टिक फोकस्ड कंपनियों पर दें ध्यान
Q4 नतीजों के हम ऐसे देखेंगे कि जहां पर कंपनी अपनी उम्मीद से खराब परफॉर्म करती है तो पोर्टफोलियो में रिसफलिंग देखेंगे।

Trump Tariff Caution: रॉकस्टड कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि टैरिफ वार को लेकर कोई मैंटर ही नहीं है यह केवल पावर गेम का खेल है। चीन पिछले 15-20 सालों से लगातार ग्रो (बढ़ता) जा रहा है। अब चाइना की जीडीपी अमेरिका के़ जीडीपी के बराबर हो चुका है और अमेरिका को टक्कर देने के लिए खड़ा है। अमेरिका का डर यह है कि कहीं उनकी करेंसी ना फेल कर जाए क्योंकि उनके सामने यूआन (चीन की करेंसी) एक चुनौती होगा। उनकी खुद की ट्रेड डेफिसिट साल की 1 ट्रिलियन की है। ऐसे में अमेरिका खुद को पहले नंबर पर फिर से बनाए रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। जिसके चलते हम टैरिफ वार जैसे एक्शन हम देख रहे हैं।

अभिषेक अग्रवाल ने आगे कहा कि ग्लोबल लेवल पर भारत का एक्सपोजर इतना बड़ा नहीं है कि जहां पर हम कोई ऐसा एक्सपोर्ट करते है जिसे लेकर हमें चिंता करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जब इस तरह की उथल-पुथल होती है तो बाजार अनिश्चितता (uncertainty) के माहौल में जाता है और निवेशकों को बाजार में अनिश्चितता पसंद नहीं है। ऐसे में अनिश्चितता के माहौल में बाजार में जब इस तरह से वौलेटिलिटी आती है तो वह निवेशकों के आत्मविश्वास (कॉन्फिडेंस) को हिलाता है और इस वक्त बाजार में हम वहीं देख रहे हैं।

अभिषेक अग्रवाल ने इस बातचीत में आगे कहा कि आईटी सेक्टर पिछले 4 महीने में सबसे कमजोर सेक्टर रहा है। पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड उठाकर देखें तो कभी ऐसा नहीं रहा कि आईटी इंडेक्स इतनी बुरी तरह से पिटा हो। ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि हमारा सबसे बड़ा एक्सपोजर यूएस कंपनियों में रहा है। मुझे नहीं लगता कि चौथी तिमाही के अर्निंग को देखकर कोई ऐसा डिसीजन लिया जाए कि बाजार का आगे क्या होगा? बाजार में करेक्शन तब से शुरु हुआ है जब से ट्रंप के प्रेसिडेंट बनने की खबरें आई। पहले बाजार हेल्दी करेक्शन की तरफ था लेकिन बाजार में आई वौलेटिलिटी ऐडेड है जो टैरिफ की खबरों के बाद से बढ़ी है।

हालांकि Q4 नतीजों के हम ऐसे देखेंगे कि जहां पर कंपनी अपनी उम्मीद से खराब परफॉर्म करती है तो पोर्टफोलियो में रिसफलिंग देखेंगे। क्योंकि टैरिफ वार का असर अगले तिमाही के नतीजों में दिखेगा। लिहाजा Q4 में डॉमेस्टिक कंपनियां बेहतर ही प्रदर्शन करती दिखाई देगी।

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