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Vodafone Idea stocks: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कंपनी के लिए वक्त बहुत कम बचा है, करो या मरो जैसी स्थिति

Vodafone Idea News: Vodafone Idea ने FY25 में 9,600 करोड़ रुपये का कैपिटल एक्सपेंडिचर किया। यह 2018 में विलय के बाद से सबसे ज्यादा पूंजी निवेश है। इसके बावजूद यह वोडाफोन आइडिया की तकदीर बदलने में नाकाम रहा है। कंपनी के सब्सक्राइबर्स की संख्या लगातार घट रही है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jun 04, 2025 पर 11:37 AM
Vodafone Idea stocks: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कंपनी के लिए वक्त बहुत कम बचा है, करो या मरो जैसी स्थिति
राहत के उपायों और सरकार की मदद के बावजूद Vodafone Idea की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं।

वोडाफोन और आइडिया का 2018 में विलय हुआ था। उसके बाद यह कंपनी वोडाफोन आइडिया बन गई। विलय के बाद से यह कंपनी लगातार मुश्किलों में घिरी रही है। ऐसा लगा था कि विलय के बाद यह (वोडाफोन आइडिया) इंडिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम बन जाएगी। लेकिन, यह सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल के बाद दूसरा बड़ा बोझ बन गई। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद वोडाफोन के वजूद को लेकर बड़ा खतरा पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाया से राहत की कंपनी की मांग खारिज कर दी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कंपनी की अपील पर भी सवाल उठाया।

कर्ज जुटाने की कोशिशें नाकाम रही हैं

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने हाल में Vodafone Idea पर अपनी रिपोर्ट में इस स्टॉक को बेचने की सलाह दी है। इस रिपोर्ट में वोडाफोन आइडिया के संकट की गंभीरता के बारे में भी बताया गया है। AGR बकाया के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने का मतलब है कि कंपनी को मार्च 2026 से बकाया लौटाना शुरू करना होगा। उधर, कर्ज जुटाने की कंपनी की कोशिशें कामयाब रही हैं। इसका मतलब है कि कंपनी को हर साला अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह पैसा नहीं मिला तो कंपनी FY25-27 के दौरान 50,000-55,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च का अपना प्लान पूरा नहीं कर पाएगी।

सब्सक्राइबर्स की संख्या में लगातार आ रही कमी

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