वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 2 अप्रैल को भी तेजी दिखी। वोडाफोन आइडिया पर बकाया पैसे के एक हिस्से को सरकार इक्विटी में बदलने को तैयार हो गई है। इसके तहत करीब 37,000 करोड़ रुपये के बदले में वोडाफोन आइडिया सरकार को अपने शेयर जारी करेगी। ये शेयर 10 रुपये की कीमत पर जारी किए जाएंगे। हालांकि, सरकार के इस फैसले से वोडाफोन आइडिया को कुछ समय के लिए राहत मिल गई है। लेकिन, इस डील को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं। वोडाफोन सरकार को प्रत्येक 10 रुपये की कीमत पर स्टॉक्स क्यों जारी करेगी, जब स्टॉक्स मार्केट में शेयरों की कीमत इससे काफा कम है?
वोडाफोन आइडिया के शेयरों में उछाल
Vodafone Idea (VI) के सरकार के बकाया पैसे के एक हिस्से को शेयरों में बदलने के फैसले से इसके शेयरों में 1 अप्रैल को बड़ा उछाल आया। दो दिन में कंपनी का स्टॉक 17 फीसदी चढ़ चुका है। SEBI का नियम कहता है कि अगर कोई कंपनी शेयर जारी करते हैं तो उसका मूल्य स्टॉक मार्केट में स्टॉक के वेटेज एवरेज प्राइस के आधार पर तय होना चाहिए। इस आधार पर भी वोडाफोन आइडिया के शेयर की कीमत 10 रुपये से कम बैठती है। कंपनीज एक्ट के एक सेक्शन के मुताबिक, कंपनी 'पार वैल्यू' से कम पर शेयर जारी नहीं कर सकती, जो इस मामले में 10 रुपये है।
VI पर सरकार का 2.1 लाख करोड़ रुपये बकाया
Vodafone Idea पर सरकार का 2.1 लाख करोड़ रुपये बकाया है। कंपनी इसका एक हिस्सा शेयरों में बदलेगी। दरअसल, अभी वोडाफोन आइडिया के पास सरकार को चुकाने के लिए पैसे नहीं है। कंपनी अभी इस कर्ज को चुकाने के लिए मार्केट से पैसे भी नहीं जुटा पा रही है। वोडाफोन आइडिया की समस्या 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से काफी बढ़ गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले में फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया था। इससे कंपनी को इस मद में सरकार को 70,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी रखने वाली Vodafone UK ने इस कंपनी में अपने निवेश को राइट डाउन कर जीरो कर दिया। उसने आगे कंपनी में किसी तरह का निवेश करने से इनकार कर दिया।
वोडाफोन के लिए आगे का रास्ता काफी मुश्किल
पिछले कुछ सालों में एक तरफ जहां वोडाफोन आइडिया का लॉस बढ़ता गया वही दूसरी तरफ इसके ग्राहकों की संख्या घटती गई। इससे कंपनी के शेयर का प्राइस गिरकर सिंगल डिजिट (10 रुपये से कम) में आ गया। अब कंपनी का नेटवर्थ निगेटिव हो गया है। इसका मतलब है कि कंपनी तकनीकी रूप से दिवालिया हो गई है। इस बीच, इसे स्पेक्ट्र के पैसे चुकाने, 5G नेटवर्क में निवेश करने और सरकार को एजीआर का बकाया चुकाने के लिए पैसे की जरूरत है।
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सरकारी कंपनी बनने के रास्ते पर वोडाफोन
सरकार वोडाफोन आइडिया पर सिर्फ FY26 की देनदारी को अभी शेयरों में बदला है। इससे वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी अब 49 फीसदी हो गई है। वोडाफोन आइडिया को हर साल सरकार को 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का पेमेंट करना है। यह पेमेंट उसे मार्च 2030 तक करना होगा। सवाल है कि क्या सरकार वोडाफोन पर बकाया बाकी पैसे को भी शेयरों में बदलेगी। ऐसा होने पर वोडाफोन आइडिया में सरकार सबसे बड़ी हिस्सेदार बन जाएगी। इससे यह सरकारी कंपनी बन जाएगी। इससे यह राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट (RTI) के दायरे में आ जाएगी।