Waaree Energies Shares: ट्रंप के इस ऐलान ने तोड़ दिए शेयर, दो ही दिन में आया 12% नीचे

Waaree Energies Share Price: सोलर पीवी मॉड्यूल बनाने वाली वारी एनर्जीज के शेयर पिछले महीने लिस्ट हुए थे और लिस्ट होने के कुछ ही दिनों में निवेशकों का पैसा करीब ढाई गुना बढ़ गया। हालांकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने जो बात कही, उससे दो ही दिन में शेयर 12% से अधिक टूट गए

अपडेटेड Nov 08, 2024 पर 4:10 PM
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वारी एनर्जी के शेयरों में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद रिन्यूएबल एनर्जी एक्सपोर्ट्स में गिरावट की आशंका बन गई है।

Waaree Energies Share Price: पिछले महीने घरेलू मार्केट में लिस्ट हुए वारी एनर्जीज के शेयरों ने निवेशकों की ताबड़तोड़ कमाई कराई और आईपीओ निवेशकों का पैसा दोगुने से अधिक कर दिया। हालांकि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद दो ही दिन में यह 12 फीसदी से अधिक टूट गया। आज की बात करें तो इंट्रा-डे में यह करीब 9 फीसदी टूट गया था। आज BSE पर यह 6.66 फीसदी की गिरावट के साथ 3133.85 रुपये के भाव पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 8.95 फीसदी फिसलकर 3057.00 रुपये के भाव तक आ गया था। आईपीओ निवेशकों को इसके शेयर 1503 रुपये के भाव पर जारी हुए थे और मार्केट में इसकी 23 अक्टूबर को एंट्री हुई थी। कुछ दिनों पहले 6 नवंबर को यह 3740.75 रुपये की रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था यानी कि आईपीओ निवेशकों की पूंजी करीब 149 फीसदी बढ़ी थी।

Waaree Energies के शेयरों में क्यों आई गिरावट?

वारी एनर्जी के शेयरों में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद रिन्यूएबल एनर्जी एक्सपोर्ट्स में गिरावट की आशंका बन गई है। सबसे अधिक दिक्कत उन कंपनियों को है जो निर्यात के लिए अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपनी स्पीच में कहा कि पद संभालने के बाद पहले ही दिन वह रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स रोक देंगे। अभी कई बड़ी भारतीय कंपनियां अमेरिका को सोलर मॉड्यूल निर्यात करती हैं और डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति से इन्हें दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं क्योंकि ये सोलर सेल का बड़ा हिस्सा चीन से आयात करती हैं।


एक्सपर्ट का क्या कहना है?

ब्रोकरेज फर्म एलारा कैपिटल के सीनियर एनालिस्ट रूपेश सांखे के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के रुख से सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट के भारतीय निर्यातकों पर असर पड़ सकता है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि शॉर्मट टर्म में असर कम हो सकता है लेकिन मीडियम टर्म यानी तीन से चार साल में इसका असर तगड़ा दिख सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल चार साल का होता है और ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बन रहे हैं और अमेरिका में कोई शख्स अधिकतम दो ही बार राष्ट्रपति बन सकता है। एनालिस्ट का मानना है कि वारी जैसी उन भारतीय कंपनियों को अपनी स्ट्रैटेजी में बदलाव करना पड़ सकता है जिनके रेवेन्यू में अमेरिका की बड़ी हिस्सेदारी है।

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