Zoho vs Freshworks: 'एंप्लॉयीज से लॉयल्टी की उम्मीद न करें', इस कारण Zoho के श्रीधर वेंबू ने कहा ऐसा
Zoho vs Freshworks: क्लाउड बेस्ड सॉफ्टवेयर-ऐज-अ-सर्विस कंपनी फ्रेशवर्क्स ने अपने 13 फीसदी एंप्लॉयीज की छंटनी का ऐलान किया है। इसे लेकर सॉफ्यवेयर और वेब आधारित बिजनेस टूल बनाने वाली जोहो के श्रीधर वेंबू ने फ्रेशवर्क की काफी आलोचना की है। हालांकि फ्रेशवर्क्स का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा स्पष्ट था। जानिए क्या है पूरा मामला
Zoho vs Freshworks: जोहो और फ्रेशवर्क्स के बीच लंबे समय से तनातनी है। फ्रेशवर्क्स के फाउंडर गिरीश माथ्रूबूथम ने 2010 में अपनी कंपनी शुरू करने से पहले जोहो में काम किया था।
Zoho vs Freshworks: क्लाउड बेस्ड सॉफ्टवेयर-ऐज-अ-सर्विस कंपनी फ्रेशवर्क्स ने अपने 13 फीसदी एंप्लॉयीज की छंटनी का ऐलान किया है। इसे लेकर सॉफ्यवेयर और वेब आधारित बिजनेस टूल बनाने वाली जोहो के श्रीधर वेंबू ने फ्रेशवर्क की काफी आलोचना की है। श्रीधर का कहना है कि एक कंपनी जिसके पास 100 करोड़ डॉलर से अधिक की नकदी है और फिर भी शेयरहोल्डर्स को प्राथमिकता देते हुए एंप्लॉयीज की छंटनी और स्टॉक बायबैक का ऐलान करती है, उसे अपने एंप्लॉयीज से वफादारी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। हालांकि उन्होंने X (पूर्व नाम Twitter) पर अपनी पोस्ट में फ्रेशवर्क्स का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा स्पष्ट था, क्योंकि उन्होंनें ये बातें फ्रेशवर्क्स की कमाई, बायबैक और छंटनी के ऐलान के एक दिन बाद आई जिससे कंपनी के शेयर गुरुवार को अमेरिकी बाजारों में 28 प्रतिशत बढ़ गए।
क्या कहा Zoho के श्रीधर वेंबू ने
श्रीधर वेंबू ने कहा कि एक कंपनी जिसके पास 100 करोड़ डॉलर की नकद राशि है, जो उसके सालाना रेवेन्यू का लगभग 1.5 गुना है, और जो अभी भी 20 फीसदी की अच्छी दर से आगे बढ़ रही है और मुनाफा कमा रही है, अगर वह अपने 12-13 फीसदी एंप्लॉयीज को निकाल देती है तो उसे कभी भी अपने एंप्लॉयीज से निष्ठा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह और भी चुभने वाला है जब वह 40 करोड़ डॉलर का स्टॉक बाइबैक कर सकती है, वह छंटनी कर रही है। श्रीधर ने कहा कि जब कोई कंपनी घाटे में है तो एंप्लॉयीज की छंटनी दुखद वास्तविकता हो सकती है लेकिन यहां ऐसा मामला नहीं है, यह केवल लालच है, और कुछ नहीं।
हालांकि उन्होंने अपनी पोस्ट में फ्रेशवर्क्स का नाम नहीं लिया है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से नास्डाक पर लिस्टेड फ्रेशवर्क्स से कुछ सवाल भी पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या कंपनी के पास 40 करोड़ डॉलर को कहीं निवेश करने की दृष्टि नहीं है, जहां आप छंटनी से प्रभावित लोगों को लोगों को काम दे सकते हैं? क्या टेक्नोलॉजी में ऐसी कोई संभावनाएं नहीं हैं? क्या आपको इतनी कम जिज्ञासा, दृष्टि और कल्पना है? क्या आपको इतनी कम सहानुभूति है? इसके बाद जोहो के फाउंडर ने कहा कि यही वजह है कि कुछ कंपनियां प्राइवेट रहना चाहती हैं ताकि शेयरहोल्डर्स की बजाय प्राथमिकता पर ग्राहक और एंप्लॉयीज हों।
Freshworks ने क्या ऐलान किए थे?
अब जानते हैं कि फ्रेशवर्क्स ने क्या ऐलान किए थे। फ्रेशवर्क्स के सीईओ डेनिस वुडसाइड ने 7 नवंबर को 13 फीसदी यानी 660 एंप्लॉयीज की छंटनी का ऐलान किया। इस समय कंपनी में 5 हजार से अधिक एंप्लॉयीज हैं और इस साल 2024 में अब तक कई एंप्लॉयजी की छंटनी और मैनेजमेंट में फेरबदल हो चुका है।
Zoho vs Freshworks: लंबे समय से है तनातनी
ज़ोहो और फ्रेशवर्क्स के बीच लंबे समय से तनातनी है। फ्रेशवर्क्स के फाउंडर गिरीश माथ्रूबूथम ने 2010 में अपनी कंपनी शुरू करने से पहले जोहो में काम किया था। ये कंपनियां मार्च 2020 से कानूनी लड़ाई में हैं, जब जोहो ने फ्रेशवर्क्स पर अपनी गोपनीय जानकारी चुराने का आरोप लगाया था। दोनों कंपनियों ने 2021 में इस मामले को सुलझा लिया था, जब फ्रेशवर्क्स ने स्वीकार किया कि कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी ने जोहो की गोपनीय जानकारी का गलत तरीके से उपयोग किया था, जिसमें बिक्री लीड्स शामिल थीं।