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Why Insurance Stocks Falls: पांच दिनों की गिरावट के बाद मार्केट में रौनक, लेकिन इस कारण इंश्योरेंस स्टॉक्स धड़ाम

Why Insurance Stocks Falls: घरेलू स्टॉक मार्केट में लगातार पांच कारोबारी दिनों की गिरावट के बाद आज रौनक लौटी है। हालांकि इंश्योरेंस सेक्टर के शेयरों में बिकवाली का तेज दबाव दिखा और ये 6 फीसदी तक टूट गए। जानिए खरीदारी के माहौल में भी इंश्योरेंस स्टॉक्स पर दबाव क्यों आया?

अपडेटेड Dec 23, 2024 पर 2:53 PM
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न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (New India Assurance Company) के शेयर 6 फीसदी से अधिक टूट गए जबकि जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (GIC) के शेयर करीब 5 फीसदी, स्टार हेल्थ (Star Health) 2 फीसदी, एचडीएफसी लाइफ (HDFC Life) करीब 1 फीसदी टूट गया।

Why Insurance Stocks Falls: घरेलू स्टॉक मार्केट में लगातार पांच कारोबारी दिनों की गिरावट के बाद आज रौनक लौटी है। हालांकि इंश्योरेंस सेक्टर के शेयरों में बिकवाली का तेज दबाव दिखा और ये 6 फीसदी तक टूट गए। यह दबाव इसलिए दिखा क्योंकि जीएसटी काउंसिल ने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में कटौती को लेकर कोई फैसला नहीं किया। इसके चलते न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (New India Assurance Company) के शेयर 6 फीसदी से अधिक टूट गए जबकि जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (GIC) के शेयर करीब 5 फीसदी, स्टार हेल्थ (Star Health) 2 फीसदी, एचडीएफसी लाइफ (HDFC Life) करीब 1 फीसदी टूट गया।

जीएसटी को लेकर कितनी राहत की थी उम्मीद?

ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा और टर्म लाइफ बीमा पर जीएसटी छूट देने की सिफारिश की थी। इसके अलावा जीओएम ने ₹5 लाख के कवर वाले स्वास्थ्य बीमा पर अप्रत्यक्ष कर की दर को 5% तक घटाने की सिफारिश की थी। अभी लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगती है। हालांकि जीएसटी काउंसिल ने इस फैसले को लागू होने से टाल दिया।


कम क्यों नहीं हुई जीएसटी?

जीएसटी काउंसिल ने 21 दिसंबर को बैठक के दौरान लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दर घटाने के फैसले को लागू करने को टाल दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि इस फैसले पर सहमति बनाने के लिए काउंसिल को अधिक समय की जरूरत है। काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस ब्रीफिंग ने कहा कि जीओएम को इस मामले में अभी और समय चाहिए क्योंकि बीमा नियामक से इनपुट का इंतजार है। जीओएम ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी में राहत पर विस्तार से चर्चा की है लेकिन इरडा के इनपुट के बाद जीओएम इस पर अपनी आखिरी रिपोर्ट तैयार करेगा। जीएसटी में राहत मिलने पर इंश्योरेंस सस्ता हो जाता जिससे इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री भी बढ़ जाती। हालांकि इसके चलते सरकार को रेवेन्यू में सालाना 2600 करोड़ रुपये के झटके का अनुमान है।

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