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RBI क्या 6 अप्रैल को रेपो रेट बढ़ाकर लंबा ब्रेक लेगा, जानिए क्या कर सकता है रिजर्व बैंक

एमपीसी ने मांग को घटाने का काम किया या फिर महंगाई को कम करने के लिए पर्याप्त काम किया है, इसका सही अंदाजा किसी को नहीं है। लेकिन ये साफ है कि महंगाई को रोकना ही आरबीआई का एकमात्र उद्देश्य नहीं है। आरबीआई की प्राथमिकता सूचि में ग्रोथ नीचे के पायदाम पर हो सकता है लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अच्छी खबर यह है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद आरबीआई का स्टॉफ भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर उत्साहित है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 05, 2023 पर 3:08 PM
RBI क्या 6 अप्रैल को रेपो रेट बढ़ाकर लंबा ब्रेक लेगा, जानिए क्या कर सकता है रिजर्व बैंक
रिज़र्व बैंक ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि अमेरिका और स्विटज़रलैंड में हाल में देखने को मिले बैंकिंग संकट के चलते ब्याज दरों में बढ़ोतरी की नीति की समीक्षा की जरूरत है

आम धारणा ये है कि 6 अप्रैल को आरबीआई रेपो रेट में अभी एक और बढ़ोतरी करेगा। ये बढ़ोतरी फाइनल होगी। उसके बाद दरो में गिरावट की शुरुआत होगी। बता दें कि आरबीआई एमपीसी की बैठक 3 अप्रैल को शुरु हुई है। ये 6 अप्रैल को अपना फैसला देगी। उम्मीद है कि आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी की और बढ़ोतरी करके इसको 6.75 फीसदी कर देगा। इस बढ़ोतर को तर्कसंगत ठहराने के लिए की वजहें हैं। देश में हेडलाइन महंगाई दर एक बार फिर से 6 फीसदी के पार चली गई है। ये आरबीआई के जनवरी-मार्च के लिए किए गए 5.7 फीसदी के अनुमान से 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी ज्यादा है।

इसके अलावा कोर महंगाई के मोर्चे पर (जिसे एमपीसी ने पिछली कुछ बैठकों में एक प्रमुख फैक्टर बताया है) पिछले 6 महीनेंमें मुश्किल से कोी प्रगति हुई है और ये 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इसके अलावा आरबीआई का अनुमान है कि जनवरी-मार्च 2024 की अवधि में खुदरा महंगाई दर 5.6 फीसदी पर रह सकती है। ये 4 फीसदी से मीडिम टर्म लक्ष्य से काफी ज्यादा है।

लेकिन अगर एमपीसी के लिए इस सप्ताह फिर से दरों में बढ़त करने के लिए एक ठोस वजह बन सकते हैं तो ब्याज दरों में बढ़त पर विराम लगने को पक्ष में भी अपने तर्क हैं। आइए डालते हैं इन पर एक नजर।

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