मेथी दाना : शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में मेथी सबसे अधिक अच्छी चीजों में से एक है। इसके बीज घुलनशील फाइबर से भरपूर होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट के शरीर में मिलने की रफ्तार को धीमा करते हैं और शरीर द्वारा इंसुलिन के उपयोग को बेहतर बनाते हैं। मेथी को रात भर पानी में भिगो कर उस पानी को पीने से इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार हो सकता है। इसके अलावा मेथी दाना को रोज के खाने में शामिल करने के भी कई आसान तरीके हैं। (Photo Credit: Pinterest)
करेला : ये सब्जी ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आती, क्योंकि ये कड़वा होता है। कड़वा होने के बावजूद करेला डायबिटीज या इंसुलिन रिजिस्टेंस के मामले में शक्तिशाली होता है। करेला आयुर्वेद में अग्न्याशय को सहारा देने की क्षमता के लिए जाना जाता है। करेले में मौजूद चारेंटिन और पॉलीपेप्टाइड-पी जैसे यौगिक इंसुलिन की नकल करते हैं और ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं। (Photo Credit: Pinterest)
दालचीनी : यह मसाला सिर्फ खाने स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं अहम है। आयुर्वेद में दालचीनी को पाचन को उत्तेजित करने वाले और फैट कम करने वाला कहा गया है। आधुनिक शोध भी बताते हैं कि दालचीनी इंसुलिन को अधिक प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करती है, जिससे कोशिकाएं ग्लूकोज को ज्यादा आसानी से अवशोषित कर पाती हैं। चाय या करी में थोड़ी सी दालचीनी छिड़कने से शुगर का स्तर संतुलित रह सकता है।(Photo Credit: Pinterest)
आंवला : आंवला विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट का भंडार है। आयुर्वेद में इसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए जाना जाता है। यह पैन्क्रियाज को मजबूत करने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी मददगार माना जाता है। इसका नियमित जूस, पाउडर या च्यवनप्राश में सेवन, बेहतर ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में मदद कर सकता है। (Photo Credit: Pinterest)
हल्दी : ये एक ऐसा मसाला है, जो हर भारतीय किचन में रहता है। आयुर्वेद में भी इसका विशेष महत्व है। इसमें मौजूद करक्यूमिन, सूजनरोधी है और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने के लिए जाना जाता है। हल्दी वाला दूध या खाना बनाते समय उसमें पर्याप्त मात्रा में हल्दी मिला कर इसका फायदा पारंपरिक तरीके से पाया जा सकता है। (Photo Credit: Pinterest)