1. डिडक्टिबल चुनकर घटाएं प्रीमियम
डिडक्टिबल का मतलब है कि क्लेम में एक तय रकम आप खुद देंगे और उसके बाद इंश्योरर खर्च उठाएगा। 5,000 या 10,000 रुपये का डिडक्टिबल रखने से प्रीमियम 10–20% तक कम हो सकता है। इसे सुपर टॉप-अप प्लान से जोड़कर आप बड़ी कवरेज भी ले सकते हैं। इस तरह छोटी लागत में बड़ी सुरक्षा मिलती है।
2. सुपर टॉप-अप प्लान का फायदा
सुपर टॉप-अप आपके बेस पॉलिसी खत्म होने पर काम आता है और बड़े मेडिकल खर्च कवर करता है। उदाहरण के लिए 5 लाख के बेस और 10 लाख टॉप-अप में, 7 लाख का क्लेम बेस + टॉप-अप से पूरा हो जाएगा। यह बड़े बेस पॉलिसी से सस्ता विकल्प है। सालाना कई क्लेम हों तो भी सुपर टॉप-अप उपयोगी रहता है।
3. डिस्काउंट्स का सही इस्तेमाल करें
इंश्योरेंस कंपनियां लंबी अवधि की पॉलिसी लेने, परिवार को फ्लोटर पॉलिसी में जोड़ने या हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने पर डिस्काउंट देती हैं। ये छूट प्रीमियम को 10–20% तक घटा सकती हैं। नॉन-स्मोकर या क्लेम-फ्री रहने वाले लोगों को भी बेनिफिट मिलता है। मोटर, होम जैसी अन्य पॉलिसी एक ही कंपनी से लेने पर अतिरिक्त छूट मिल सकती है।
4. रेगुलर हेल्थ चेक-अप से बचत
कई कंपनियां हेल्थ चेक-अप कराने और फिटनेस टारगेट पूरे करने पर प्रीमियम में राहत देती हैं। उदाहरण के लिए, 10,000 कदम चलना या जिम में एक्टिव रहना आपको रिवॉर्ड्स दिला सकता है। कुछ पॉलिसी 100% तक प्रीमियम रिटर्न भी देती हैं। इससे आप फिट भी रहते हैं और खर्च भी घटाते हैं।
5. पॉलिसी पोर्टिंग का विकल्प अपनाएं
अगर मौजूदा पॉलिसी महंगी है या बेनिफिट्स कम हैं तो रिन्यूअल पर दूसरी कंपनी में पोर्टिंग कर सकते हैं। इसमें पहले से मिले वेटिंग पीरियड और फायदे भी ट्रांसफर हो जाते हैं। पोर्टिंग के लिए कम से कम 45 दिन पहले अप्लाई करना जरूरी है। नई पॉलिसी आपके खर्च और जरूरत के हिसाब से बेहतर हो सकती है।
6. लोअर रूम कैटेगरी चुनें
अस्पताल का रूम किराया क्लेम अमाउंट और प्रीमियम पर सीधा असर डालता है। प्राइवेट रूम महंगे पड़ते हैं और बाकी खर्च भी बढ़ा देते हैं। अगर आप ट्विन-शेयरिंग या मल्टी-शेयरिंग चुनते हैं तो काफी डिस्काउंट मिल सकता है। इससे बिना क्वालिटी से समझौता किए प्रीमियम घटाया जा सकता है।