बदलती जिंदगी में फाइनेंशियल प्लान को रखें अपडेट, ये 5 मौके चूकने न पाएं!

Financial Planning: जिंदगी के बदलावों के साथ फाइनेंशियल प्लान को अपडेट रखना आर्थिक सुरक्षा की कुंजी है। इन 5 खास मौकों पर तुरंत समीक्षा करें, वरना लक्ष्य अधूरे रह जाएंगे।

अपडेटेड Dec 11, 2025 पर 16:22
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क्यों जरूरी है फाइनेंशियल प्लान की समीक्षा? जिंदगी के हर मोड़ पर आय, खर्च और जिम्मेदारियां बदलती रहती हैं, लेकिन फाइनेंशियल प्लान पुराना रह जाता है तो भविष्य पर खतरा मंडराने लगता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सालाना कम से कम एक बार प्लान चेक करें, खासकर इनकम बदलाव, परिवार वृद्धि या स्वास्थ्य मुश्किलों के समय। इससे न सिर्फ लक्ष्य हासिल होते रहते हैं, बल्कि इमरजेंसी में तनाव कम होता है। उदाहरण: SIP को 10% बढ़ाने से 10 साल में कॉर्पस दोगुना हो सकता है। सही प्लानिंग से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।

इनकम में बढ़ोतरी
सैलरी बढ़ने पर लाइफस्टाइल महंगी हो जाती है, लेकिन हर अतिरिक्त रुपये को खर्च न करें। बढ़ी आय का 20-30% हिस्सा निवेश में डालें, जैसे SIP स्टेप-अप ऑप्शन से। ऐसे समझें 1000 रुपये मासिक SIP पर 12% रिटर्न से 10 साल में 2.21 लाख, लेकिन 10% सालाना बढ़ोतरी से 3.26 लाख बन जाते हैं। इससे रिटायरमेंट या बच्चों की पढ़ाई का मजबूत फंड तैयार होता है। पुराना प्लान अपडेट न करें तो अवसर गंवाते रहेंगे।

इनकम में कमी (जारी)
नौकरी छूटना, बिजनेस लॉस या करियर ब्रेक में कैश फ्लो बिगड़ जाता है। पहले जरूरी खर्चों की लिस्ट बनाएं किराया, बिल, राशन। गैर-जरूरी शॉपिंग, बाहर खाना बंद करें। इमरजेंसी फंड (6-12 महीने का खर्च) इस्तेमाल करें, लेकिन SIP/म्यूचुअल फंड न तोड़ें। नया प्लान बनाएं जिसमें खर्च 50-60% आय तक सीमित हो। इससे दिवालिया होने से बचाव होता है।

लक्ष्य और इच्छाएं बदलें
शुरू में छोटी कार का सपना था, अब SUV या विदेश ट्रिप? बढ़ती आय से महत्वाकांक्षाएं बढ़ती हैं। नए लक्ष्यों के हिसाब से निवेश राशि बढ़ाएं। SIP टॉप-अप या नया फंड चुनें। समय के साथ महंगाई लक्ष्य को महंगा कर देती है, इसलिए प्लान में एडजस्टमेंट जरूरी। उदाहरण: छुट्टियों के लिए अलग ट्रैवल फंड शुरू करें। अपडेट न करने से पुराने लक्ष्य अधूरे रह जाते हैं।

जीवन के बड़े पड़ाव
शादी, बच्चे का जन्म, पैरेंट्स की देखभाल या बच्चों की विदेश पढ़ाई जैसे पड़ाव बजट उलट देते हैं। इंश्योरेंस अपडेट करें फैमिली फ्लोटर हेल्थ पॉलिसी लें, चाइल्ड एजुकेशन प्लान शुरू करें। इमरजेंसी फंड 12 महीने का रखें। वसीयत बनाएं। इन बदलावों से जिम्मेदारियां संभलती हैं, वरना पुराना प्लान बोझ बन जाता है। माता-पिता की पेंशन प्लानिंग भी जोड़ें।

बड़े खरीद और लोन फैसले
होम लोन, कार लोन या एजुकेशन लोन EMI को बजट का 30-40% से ज्यादा न होने दें। लोन लेने से पहले प्लान चेक करें कुल EMI आय का आधा न हो। होम लोन पर टर्म इंश्योरेंस लें। लोन बाद लक्ष्यों को रीसेट करें, जैसे रिटायरमेंट फंड कम न हो। अगर बच्चे की पढ़ाई लोन चुक न पाए तो परिवार पर दबाव। स्मार्ट प्लानिंग से लोन बोझ नहीं बनता।

स्वास्थ्य जोखिम या बीमारी
डायबिटीज, हार्ट अटैक या कैंसर जैसे रोग लाखों रुपये खा जाते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस को 1 करोड़ तक बढ़ाएं, क्रिटिकल इलनेस राइडर जोड़ें। इमरजेंसी फंड में लिक्विड फंड रखें। लाइफस्टाइल डिजीज के लिए रेगुलर चेकअप प्लान करें। पुराना प्लान अपडेट न करें तो इलाज का खर्च सेविंग्स चट कर सकता है। प्रिवेंटिव हेल्थ चेक सालाना जरूरी।

फाइनेंशियल प्लान को जिंदा रखने के लिए ऐप्स जैसे Groww या Zerodha से ट्रैक करें। फाइनेंशियल एडवाइजर से सालाना रिव्यू कराएं। लक्ष्यों को प्राथमिकता दें शॉर्ट टर्म (1-3 साल), मीडियम (5-10), लॉन्ग (15+)। बदलाव आने पर 15 दिन में अपडेट करें। इससे आर्थिक आजादी मिलती है।