करीब दो साल पहले फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Company) ने भारत से बाहर निकलने की योजना का ऐलान किया था। हालांकि अब कंपनी ने इस योजना पर फिर से विचार करने का फैसला किया है। यह जानकारी मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से मिली है। अमेरिकी कंपनी फोर्ड अभी हाल ही में सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू ग्रुप (JSW Group) के साथ बातचीत कर रही थी और चेन्नई के अपने प्लांट को बेचने की कोशिश में थी। हालांकि अब फोर्ड ने अगली सूचना तक इन सभी कोशिशों पर विराम लगा दिया है।
Ford क्यों कर रही अब अपने फैसले पर विचार
सूत्र के मुताबिक भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ रही ऑटो मार्केट में शुमार है तो ऐसे में फोर्ड इस बात पर विचार कर रही है कि क्या यह भारतीय मार्केट से बाहर निकलना चाहती है। हालांकि जब इसे लेकर कंपनी से संपर्क किया गया तो फोर्ड इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि चेन्नई की मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटी के लिए सभी विकल्पों पर अभी गौर किया जा रहा है और मार्केट के अनुमानों पर अभी बताने लायक कुछ नहीं है।
चेन्नई फैसिलिटी में जुलाई 2022 से बंद है प्रोडक्शन
फोर्ड की चेन्नई फैसिलिटी 350 एकड़ में फैली हुई है। इसकी सालाना क्षमता 1.50 लाख कारें और करीब 3.40 लाख इंजन बनाने की है लेकिन यहां जुलाई 2022 से प्रोडक्शन बंद है। इसका दूसरा प्लांट गुजरात के साणंद में है जिसे टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ने जनवरी में 725.7 करोड़ रुपये में खरीद लिया। टाटा कंपनी ने इसे इसलिए खरीदा था क्योंकि यह अपने ईवी उत्पादन को बढ़ाना चाहती है। वहीं चेन्नई प्लांट को बेचने के लिए फोर्ड वियतनाम की ईवी कंपनी से भी बातचीत कर रही थी।
10 साल में फोर्ड को 200 करोड़ डॉलर का नुकसान
फोर्ड ने भारत में महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) के साथ ज्वाइंट वेंचर में भारत में प्रवेश किया था और 10 साल में इसे 200 करोड़ डॉलर से अधिक ऑपरेटिंग लॉस हुआ था। 2021 से फोर्ड इंडिया ने सर्विस नेटवर्क, ऑटो पार्ट्स के आयात और डिस्ट्रीब्यूशन और एक्सटेंडेड वारंटीज की बिक्री जैसे काम पर फोकस किया है।