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Twitter काफी समय से स्पैम और फेक अकाउंट की जानकारियां छुपाती रही है, जानिए व्हिसलब्लोअर ने किए क्या-क्या खुलासे

व्हीसलब्लोअर ने अमेरिकी मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) सहित कई रेगुलेटरों को ट्विटर की करतूतों के बारे में बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लापरवाही बरतने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करने का आरोप लगाया है

अपडेटेड Aug 24, 2022 पर 10:09 AM
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ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल ने इस साल जनवरी में इस व्हिसलब्लोअर को कंपनी से निकाल दिया था।

Twitter की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक व्हिसलब्लोअर (Whistleblower) ने ट्विटर पर अपनी कई खामियां छुपाने के आरोप लगाए हैं। इस व्हीसलब्लोअर का नाम पीटर जैटको (Peiter Zatko) है। वह ट्विटर के सिक्योरिटी चीफ थे। इस साल जनवरी में ट्विटर ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। माना जा रहा है कि इस खुलासे का असर एलॉन मस्क-ट्विटर डील मामले की कोर्ट में चल रही सुनवाई पर पड़ेगा। इससे ट्विटर का पक्ष कमजोर पड़ सकता है।

जैटको ने बताया है कि ट्विटर ने यूजर्स और अमेरिकी रेगुलेटरों को ऑनलाइन प्रोटेक्शंस से जुड़ी अपनी खामियों के बारे में नहीं बताया। जैटको की तरफ से किए गए खुलासों की खबर अमेरिकी मीडिया ने दी है। इनमें ट्विटर पर फेक और स्पैम अकाउंट्स की संख्या भी कम बताने का आरोप है। मस्क ने भी ट्विटर पर यह आरोप लगाया था। फिर, उन्होंने डील से पीछे हटने का फैसला किया था।

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जैटको ने अमेरिकी मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) सहित कई रेगुलेटरों को ट्विटर की करतूतों के बारे में बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लापरवाही बरतने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करने का आरोप लगाया है। जैटको ने कंपनी को बहुत पुराने पड़ चुके सर्वर्स के बारे में चेतावनी दी थी।

उन्होंने कंपनी (Twitter) को यह भी बताया था कि साइबर अटैक के लिहाज से कंपनी का सॉफ्टवेयर काफी कमजोर है। उन्होंने यह भी कहा था कि कंपनी के एग्जिक्यूटिव्स ने हैकिंग की कोशिशों से जुड़ी जानकारियां अमेरिकी अथॉरिटीज से छुपाई थी। यहां तक कि कंपनी को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तक को इस बारे में अंधेरे में रखा गया था।

हैकर से एग्जिक्यूटिव बने जैटको ने कहा है स्पैम और बोट्स पर रोक लगाने की जगह यूजर बेस बढ़ाना ट्विटर की प्राथमिकता रही है। ट्विटर के खिलाफ इन आरोपों को गंभीर मामला माना जा रहा है।

उधर, ट्विटर ने इस मामले में अपनी सफाई पेश की है। उसने कहा है कि खराब परफॉर्मेंस की वजह से जैटको को कंपनी के निकाल दिया गया था। कंपनी ने जैटको के आरोपों को झूठा बताया है। उसने यह भी कहा है कि इन आरोपों को लगाने के लिए जिस समय का चुनाव किया गया है, उससे संकेत मिलता है कि इसका मकसद ट्विटर को नुकसान पहुंचाना है।

ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल ने इस साल जनवरी में जैटको को कंपनी से निकाल दिया था। जैटको का नाम अमेरिका के टॉप साइबरसिक्योरिटी एक्सपर्ट्स में शामिल है। उन्हें ट्विटर के पूर्व प्रमुख जैक डोर्सी ने 2020 में नियुक्त किया था। वह नवंबर 2020 से जनवरी 2022 तक ट्विटर के सिक्योरिटी के चीफ थे। इससे पहले वह इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी स्ट्राइप में सिक्योरिटी चीफ थे। उन्होंने गूगल में भी स्पेशल प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।

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