China News: चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर कितनी भयावह स्थिति का सामना कर रहा है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि यहां नए घरों की कीमतें करीब दस साल में सबसे तेज स्पीड से कम हुई हैं। आज सोमवार को जारी नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) यानी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सरकारी कोशिशों के बावजूद प्रॉपर्टी सेक्टर को डाउसाइड सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है और मई में नए घरों की कीमतों में गिरावट साढ़े नौ साल के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई। चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर को सपोर्ट देने के लिए सरकार ने ओवरसप्लाई पर लगाम और कर्जों में डूबे डेवलपर्स को सपोर्ट दिया, फिर भी स्थिति सुलझ नहीं रही है।
मासिक आधार पर लगातार 11वें महीने गिरी कीमतें
न्यूज एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने में अप्रैल की तुलना में कीमतें 0.7 फीसदी गिर गई और इस प्रकार यह लगातार 11वां महीना रहा जब मासिक आधार पर इसकी कीमतें फिसली हैं। वहीं अक्टूबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं सालाना आधार पर बात करें तो नए घरों की कीमतें पिछले महीने मई में 3.9 फीसदी गिरी जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 3.1 फीसदी था। पिछले महीने एनबीएस ने जिन 70 शहरों में सर्वे किया, उनमें करीब सभी शहरों में नए घरों की कीमतें कमजोर हुईं।
कभी थी चीन की मजबूती, अब खुद सहारे की आस में
एक समय चीन का प्रॉपर्टी सेक्टर इकनॉमिक ग्रोथ को अहम इंजन था, लेकिन अब यह खुद कर्ज के भारी बोझ से दबा हुआ है। वर्ष 2021 के मध्य से ही यह कई दिक्कतों से जूझ रहा है जैसे कि डेवलपर्स दिवालिया हो रहे हैं और पहले से बिक चुके हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण टल रहा है। प्रॉपर्टी सेक्टर को उबारने के लिए कई उपाय किए जैसे अथॉरिटीज ने हाउसिंग इंवेंटरी को क्लियर करने के लिए 30 हजार करोड़ युआन (3.45 लाख करोड़ रुपये) का सपोर्ट दिया, डाउन पेमेंट्स में कटौती की गई और मॉर्गेज के नियमों में ढील दी गई।
हालांकि एनालिस्ट्स का मानना है कि इन कदमों से कुछ खास नहीं बदलेगा। उनका मानना है कि अहम शहरों में घरों की खरीदारी से जुड़े प्रतिबंधों को हटाने से छोटे शहरों में खरीदारी से जुड़े माहौल कमजोर हो सकता है। इकनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट के सीनियर इकनॉमिस्ट Xu Tianchen का मानना है कि नई नीतियों से बड़े शहरों में सेकंड-हैंड होम मार्केट को सपोर्ट मिला है लेकिन रियल एस्टेट कंपनियों की लिक्विडिटी की समस्या अभी भी बनी हुई है और नए घरों से जुड़े मार्केट में भरोसा का संकट अभी तक सुलझा नहीं है।